कमिश्नर अपील्स की एनहांसमेंट की पावर
कमिश्नर अपील्स की एनहांसमेंट की पावर, धारा 251(1)(a) के अन्तर्गत शक्तियों की विवेचना:-
निर्धारण अधिकारी के आदेश के खिलाफ जब अपील की जाती है तो टैक्सपेयर रिलीफ की उम्मीद से अपील करता है, लेकिन कई बार करदाता के साथ वो कहावत चरितार्थ हो जाती है कि चौबेजी छब्बेजी बनने गए थे लेकिन दुबेजी रह गए।
कई बार करदाता को रिलीफ देने की बजाय आयकर आयुक्त अपील्स का नोटिस मिल जाता है कि क्यों न ये एनहांसमेंट कर दिया जाए।
ऐसे में यह एक विचारणीय विषय आता है कि क्या आयकर आयुक्त अपील्स की एनहांसमेंट की शक्तियां असीमित हैं अर्थात निर्धारण अधिकारी के बराबर हैं या सीमित हैं।
इसके लिए समय समय पर दिए गए न्यायालयों के निर्णयों की विवेचना करते हैं तो यह निष्कर्ष निकलता है कि आयकर आयुक्त अपील्स की ये शक्तियां असीमित नहीं हैं।
इस बिंदु पर मुख्य निर्णय
1. सुप्रीम कोर्ट का राय बहादुर हरदत्तराय मोतीलाल चमड़िया का 66 ITR 443,
2. यूनियन टायर दिल्ली हाइकोर्ट
240 ITR 556
3. शपूरजी पालोनजी मिस्तरी
44 ITR 896
हाल ही में एक मामला दिल्ली आयकर ट्रिब्यूनल के सामने हरिमोहन शर्मा बनाम सहायक आयकर आयुक्त सर्किल 63(1), नई दिल्ली 110 टैक्समैन. कॉम 119 में आया जिसमें ट्रिब्यूनल ने उपरोक्त सभी निर्णयों व दिल्ली हाइकोर्ट के निर्णय गुरिंदर मोहन सिंह निंद्राजोग बनाम आयकर आयुक्त 348 ITR 170, के मामले में जारी गाइडेन्स का हवाला दिया है कि निर्धारण अधिकारी के आदेश में निम्न a से लेकर f प्रकार की त्रुटियां रह सकती हैं जिनमें b पॉइंट में वर्णित त्रुटि के लिए धारा 251(1 )(a) में एनहांसमेंट हो सकता है, अन्य दशाओं में नहीं।
इसमें बताया है कि जिस बिंदु पर निर्धारण अधिकारी ने addition किया है एवं करदाता ने उस बिंदु पर अपील भी की हो सिर्फ उसी बिंदु पर एनहांसमेंट हो सकता है, अन्य किसी बिंदु पर नहीं।
दिल्ली हाइकोर्ट के इस निर्णय को ट्रिब्यूनल ने अपने निर्णय के पैराग्राफ 15 व 16 में विस्तार से लिखा है। पैरा संख्या 16 नीचे दिया जा रहा है:-
a. Assessing Officer may accept the return of income without making any addition or disallowance :-
action U/s 147 of the act subject to limitations contained therein
b. the assessment is framed and the Assessing Officer makes certain addition or disallowance and in making such additions or disallowances, he deals with such item or items of income in the body of order of assessment but he under assessed such sums:-
action u/s 251 (1) (a) where the Assessing Officer had dealt with the issue in the assessment and was the subject-matter of appeal
c. AO makes no addition in respect of some of the items, though in the course of hearing before him holds a discussion of such items of income:-
action U/s 263 of the act
d. where the Assessing Officer inadvertently omits to tax an amount which ought to have been taxed and in respect of which he does not make any enquiry:-
Action u/s 147 of the act
e. where an item or items of income or expenditure, incurred and claimed is not at all considered and an assessment is framed, as a result thereof, a prejudice is caused to the Revenue:-
Action U/s 263 of the act
f . where an item of income which ought to have been taxed remained un-taxed, and there is an escapement of income, as a result of the assessee’s failure to disclose fully and truly all material facts necessary for computation of income:-
Action u/s 147 of the the act
ट्रिब्यूनल के सामने उक्त मामले में विचारणीय बिंदु था कि:-
करदाता ने लांग टर्म कैपिटल गेन से आय दिखाकर धारा 54 का डिडक्शन क्लेम किया था।
AO ने कैपिटल गेन की इनकम पर असेसमेंट कर दिया।
धारा 54 का डिडक्शन नहीं दिया।
करदाता आयकर आयुक्त के पास अपील में आया।
आयकर आयुक्त ने धारा 54 का डिडक्शन तो दूर, कैपिटल गेन की इनकम को कैपिटल गेन से हटाकर धारा 68 में जुड़वा दी व धारा 115बीबीई में टैक्स कर दी।
करदाता ने ट्रिब्यूनल में आयकर आयुक्त अपील्स की इनकम का head बदलने की शक्ति को challange किया।
ट्रिब्यूनल ने उपरोक्त न्यायिक दृष्टांतों का हवाला देते हुए कहा कि करदाता की इनकम कैपिटल गेन head में ही टैक्स होगी।
जो विषय आयकर आयुक्त अपील्स के सामने नहीं था उस विषय में वे हस्तक्षेप नहीं कर सकते।
व निर्धारण अधिकारी के पास केस वापिस भेज दिया कि वे धारा 54 के डिडक्शन की allowability को examine करके decide करें।
सीए रघुवीर पूनिया, जयपुर
9314507298