GST on ट्रस्ट “AtoZ”-पार्ट-1
GST on ट्रस्ट “AtoZ”-पार्ट-1
क्या ट्रस्ट/ NGO, पर जीएसटी लगेगा व जीएसटी का रजिस्ट्रेशन लेना होगा?
क्या NGO’s का प्रॉफिट Motive न होने का ब्रह्मास्त्र जीएसटी में काम करेगा?
क्या जीएसटी लगने के लिए बिज़नेस होना अनिवार्य है?
जीएसटी के लिए बिज़नेस क्या है?
* हमारे देश में जनहित के काम ट्रस्टों के माध्य्म से करने की हमेशा से परम्परा रही है। समाज का हर वर्ग खुले दिल से तन-मन-धन से सहयोग करता है। वर्तमान में भी कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में ट्रस्ट सेक्टर सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है।
इसलिए सरकार का टैक्सेशन के लॉ बनाते समय ट्रस्टों के प्रति लिनीयन्ट रवैया रहता है। लेकिन जीएसटी लॉ बनाते समय सरकार की नजरें ट्रस्टों की तरफ थोड़ी सख्त रही हैं। अतः ऊपर बताए प्रश्न खड़े होते हैं। इन सब प्रश्नों के उत्तर के लिए मैं एक सीरीज शुरू कर रहा हूँ,
………..जिसमें NGO/Trust/ NPO से सम्बंधित सभी प्रश्नों के उत्तर होंगे। सीरीज का नाम होगा GST on ट्रस्ट “AtoZ”*
हमें चैरिटेबल ट्रस्ट के बारे में एक भ्रांति रहती है, की चैरिटेबल ट्रस्ट सामाजिक सेवा करता है इसलिए ट्रस्ट को हर तरह के टैक्स से छूट है, जबकि ऐसा नहीं हैं।
इनकम टैक्स में कुछ शर्तों के साथ ट्रस्ट की इनकम exempt है बशर्ते कि ट्रस्ट ने धारा 12AA या 10(23C) में रजिस्ट्रेशन ले रखा हो। हालांकि सिर्फ एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स चलाने वाले ट्रस्ट, जिनकीं ग्रॉस रिसिप्ट्स एक फाइनेंसियल ईयर में 1 करोड़ से कम हों, उन ट्रस्टों को इनकम टैक्स में बिना कोई रजिस्ट्रेशन कराए धारा 10(23C)(iiiad) में इनकम टैक्स से छूट है। लेकिन अब इनकम टैक्स में रिटर्न फ़ाइल करना उनके लिए भी अनिवार्य कर दिया है।
अब आते हैं, हम जीएसटी पर :- सबसे पहले जानते हैं कि ट्रस्ट को जीएसटी में रजिस्ट्रेशन लेना अनिवार्य है या नहीं। चूंकि ट्रस्ट का मामला है तो सबसे पहले हम छूट की सेक्शन देखते हैं।
CGST एक्ट 2017 की धारा 23 हमको बताती है कि _किस पर्सन को जीएसटी का रजिस्ट्रेशन लेना जरूरी नहीं है अर्थात छूट है:- इस धारा में सिर्फ तीन कैटगरी बताई हैं, जिनको जीएसटी रजिस्ट्रेशन लेना अनिवार्य नहीं:-
1. ऐसा पर्सन जो exclusively ऐसे goods या सर्विसेज के बिज़नेस में लगा हो जो पूर्णतया कर मुक्त या टैक्स से exempted हों।
2. agriculturist (किसान)
3. जीएसटी कॉउंसिल की रिकमंडेशन पर govt ने रजिस्ट्रेशन से छूट दे दी हो।
ट्रस्ट को govt ने ऐसी कोई छूट नहीं दी है जो ऊपर बिंदु 3 में वर्णित हो। ट्रस्ट agriculturist भी नहीं है।
पॉइंट नम्बर 1 में ट्रस्ट यह तर्क दे सकते हैं कि वे business of सप्लाई ऑफ सर्विस गुड्स एंड सर्विस में एंगेज नहीं हैं। क्योंकि ट्रस्ट हमेशा यह कहते हैं उनका motive प्रॉफिट नहीं है इसलिए वे बिज़नेस नहीं करते।
-: NGO’s का “Non Profit Motive” का ब्रह्मास्त्र जीएसटी में कितना काम करेगा:-
तो आइए, अब हम देखते हैं CGST एक्ट की धारा 2(17) जो बिजिनेस की डेफिनिशन बताती है कि बिज़नेस में क्या include होगा:-
Business – Sec 2(17) of CGST Act,2017
“Business” includes –
(a) any trade, commerce, manufacture, profession, vocation, adventure, wager or any other similar activity, whether or not it is for a pecuniary benefit;
(b) any activity or transaction in connection with or incidental or ancillary to (a) above;
(c) any activity or transaction in the nature of(a) above, whether or not there is volume, frequency, continuity or regularity of such transaction;
(d) supply or acquisition of goods including capital assets and services in connection with commencement or closure of business;
(e) provision by a club, association, society, or any such body (for a subscription or any other consideration) of the facilities or benefits to its members, as the case may be;
(f) admission, for a consideration, of persons to any premises; and
(g) services supplied by a person as the holder of an office which has been accepted by him in the course or furtherance of his trade, profession or vocation;
(h) services provided by a race club by way of totalizator or a license to book maker in such club;
(i)Any activity or transaction undertaken by the Central Government, a State Government or any local authority in which they are engaged as public authorities.
जब includes करके कोई डेफिनिशन दी जाती है तो उसे inclusive डेफिनिशन कहते हैं। जिसमें legislature का इंटेशन होता है कि उस शब्द में ज्यादा से ज्यादा एक्टिविटी शामिल हों। इसलिए जो एक्टिविटी बताई जाती हैं उनके अलावा मिलती-जुलती एक्टिविटी भी शामिल हो सकती है। इस बारे में सुप्रीम कोर्ट के ये विचार हैं:-
-:Inclusive Vs. Exhaustive Definition:-
The Supreme court in west Bengal state warehousing corporation Vs. Indrapuri studio Pvt. Ltd. has examined the meaning of inclusive and exhaustive definition as appearing in various statues. The word “include” when used, enlarge the meaning of expression defined so as to comprehend not only such things as they signify according to their natural import but also those things which the clause declared that they shall includes.
डेफिनिशन के क्लॉज़ “a” में दिए गए शब्दों को देखते हैं जो “trade, commerce, manufacture, profession, vocation, adventure, wager or any other similar activity,” हैं तो इनमें तीन शब्द प्रोफेशन, वोकेशन व any other similar activity हैं व क्लॉज़ “b” में कहा है इन एक्टिविटीज के कनेक्शन या इन एक्टिविटीज की ancillary या इंसिडेंटल एक्टिविटी व क्लॉज़ “c” में कहा है कि चाहे इन एक्टिविटीज की फ्रीक्वेंसी, वॉल्यूम, कॉन्टिनुइटी, रेगुलरिटी कितनी भी हो, कोई मायने नहीं रखती। अगर वॉल्यूम, फ्रीक्वेंसी कम होगा या एक्टिविटी में कॉन्टिनुइटी या रेगुलरिटी भी नहीं होगी तो भी वह एक्टिविटी बिज़नेस में include होगी।
अब ट्रस्ट या NGO का जो ब्रह्मास्त्र है कि प्रॉफिट motive नहीं हैं उसको पार्लियामेंट ने क्लॉज़ “a” में बताई एक्टिविटी के बाद में जोड़ दिया कि, “whether or not it is for a pecuniary benefit;” pecuniary बेनिफिट का अर्थ होता है आर्थिक हित। अतः अगर ये एक्टिविटी या इन एक्टिविटी के कनेक्शन में या इन एक्टिविटी की इंसिडेंटल या ancillary एक्टिविटी है चाहे उसका वॉल्यूम, फ्रीक्वेंसी कुछ भी हो व उन एक्टिविटी की कॉन्टिनुइटी या रेगुलरिटी हो या न हो , ये एक्टिविटी बिज़नेस में include होंगी। जो ये एक्टिविटी आर्थिक उद्देश्य से की हों या नहीं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
अतः सरकार ने लास्ट में whether or not it is for a pecuniary benefit;” ,, pharase जोड़कर NGO’s का जीएसटी से बचने का अचूक ब्रह्मास्त्र “नॉन प्रॉफिट motive” को निष्प्रभावी कर दिया।