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कर प्रस्तावों पर प्रतिक्रिया एवं विवेचन

Budget 2019

Budget 2019

 

कर प्रस्तावों पर प्रतिक्रिया एवं विवेचन

इस समय की सरकार का आम चुनाव के पहले जो अंतरिम बजट इस समय वित्त मंत्री श्री पीयूष गोयल ने पेश किया उसमें यह तो उम्मीद थी कि आयकर में कुछ तो छूट मिलेगी ही और इस सम्बन्ध में ये उम्मीद कुछ हद तक पूरी तो हुई ही है और अब 5 लाख तक की कुल आय पर कोई कर नहीं देना पडेगा. आइये इसे और अन्य परिवर्तनों को ध्यान से देखें कि आखिर इस अंतरिम बजट में हुआ क्या है कर प्रस्तावों को लेकर.

1.कर की दर :-

कर की दर में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है और जो छूट दे गई है वह सिर्फ 5.00 लाख तक की आय वाले कर दाताओं के लिए ही है और यहाँ ध्यान कि 5.00 लाख रूपये की कुल आय से अधिक आय होने पर इस तरह की कोई छूट नहीं है और कर की दर पहले की तरह ही 5% प्रतिशत , 20 प्रतिशत एवं 30 प्रतिशत ही रहेगी. इस प्रकार 5.00 लाख रूपये से अधिक कुल आय से अधिक की आय वाले करदाताओं को थोड़ी निराशा ही हुई है जिन्हें यह उम्मीद थी कि 20 प्रतिशत एवं अधिकतम 30 प्रतिशत की कर की दर में कोई छूट दी जाएगी .

यहाँ कुल आय 5.00 लाख रूपये की कुल आय का अर्थ सभी प्रकार की छूटें, जिनमें जीवन बीमा इत्यादि की 1.50 लाख रूपये , मकान ऋण के ब्याज की 2.00 लाख रूपये, मेडीक्लेम की 50 हजार (25 + 25 हजार) और नेशनल पेंशन स्कीम के 50 हजार इत्यादि भी शामिल है, के बाद की आय से है. यह छूट इस तरह से दी जायेगी कि 5.00 लाख रुपये की कुल आय पर 12500.00 रूपये टैक्स होता है उसकी छूट दे दी जायेगी इस तरह उन्हें इस आय पर कर नहीं देना पडेगा. लेकिन 5.00 लाख रूपये से अधिक की कुल आय पर यह छूट नहीं मिलेगी. यह 5.00 लाख तक की छूट का लाभ सरकार

2. वेतन से आय के लिए स्टैण्डर्ड डिडक्शन बढ़ाया :-

वेतन से आय प्राप्त करने वाले कर दाताओं को स्टैण्डर्ड डिडक्शन की राशि को बढ़ा कर 40 हजार से बढ़ा कर 50 हजार कर दिया गया है वेतन भोगी कर्मचारी वर्ग को यह 10 हजार रूपये की अतिरिक्त छूट मिलेगी. यह रकम ज्यादा नहीं है लेकिन वेतनभोगी कर्मचारी वर्ग को इससे खुश होना चाहिएके अनुमान के अनुसार 3 करोड़ करदाताओं को लाभ होगा.

3.मकान सम्पति से आय में दूसरे मकान पर भी कर माफ़ :-

इस समय यदि किसी करदाता के पास एक से अधिक मकान है और उनसे कोई किराया नहीं आता है तो वह अपने किसी एक मकान को स्वयं के रहने का घोषित कर सकता था लेकिन दूसरे या उससे अधिक मकानों पर उसे मार्किट रेट पर किराया निकाल कर उस पर कर देना होता था यह “नोशनल आय” पर कर होता था . अब यह किया गया है कि ऐसा कर दाता अपने इस्तेमाल के लिए “दो मकान” चुन सकता है और दूसरे मकान पर भी उसे नोशनल (अनुमानित) किराये पर कर नहीं देना होगा.

इसके अतिरिक्त स्वयम के रहने के मकान पर जो लिए हुए ऋण पर ब्याज की छूट मिलती थी उसे इस दूसरे मकान पर भी दे दिया गया है लेकिन ध्यान रखें कि दो मकानों पर होने पर भी छूट की अधिकतम सीमा 2.00 लाख रूपये ही रहेगी. कई परिवारों की स्तिथी यह होती है कि उन्हें एक मकान की जगह अपने परिवार के लिए दो मकान रखने या बनाने होते हैं उनके लिए यह प्रावधान लाभदायक होगा .

4. मकान बेच कर हुए दीर्घकालीन केपिटल गेन की छूट का लाभ अब दो मकानों के निर्माण/खरीद तक बढ़ाया गया :-

मकान बेच कर हुए केपिटल गेन से माफ़ी के लिए अब तक कर दाता को केवल एक ही मकान में निवेश करने की शर्त थी लेकिन अब यदि केपिटल गेन की राशि 2.00 करोड़ की राशी तक है तो इसे अब उसे दो मकानों की खरीद/निर्माण तक बढ़ा दिया गया है. दो मकानों पर मिलने वाली यह छूट कर दाता को जीवन में सिर्फ एक ही बार मिलेगा.कई करदाताओं की स्तिथी यह होती है कि उन्हें एक मकान बेच कर अपने परिवार के लिए दो मकान बनाने होते हैं उनके लिए यह प्रावधान लाभदायक होगा .

5. स्त्रोत पर कर कटौती (TDS) में छूट :-

बैंक एवं पोस्ट ऑफिस जो ब्याज का भुगतान करते थे उसके 10 हजार रूपये से अधिक होते ही टीडीएस काटना होता था अब यह रकम बढ़ा कर 40 हजार रूपये कर दी गई है . अब यदि इस तरह के करदाता को यदि उनकी आय करयोग्य नहीं है तो रिटर्न भर कर रिफंड नहीं लेना होगा या कर नहीं कटे इसके लिए फॉर्म भर कर बैंक इत्यादि को नहीं देना होगा और यह प्रावधान इन करदाताओं को प्रक्रियाओं के बोझ से बचाएगा.

इसके अतिरिक्त किराए पर जो टीडीएस सालाना किराए 1.80 लाख रूपये से अधिक होने पर टीडीएस काटना होता था लेकिन अब इसे बढ़ा कर 2.40 लाख रूपये किया गया है . ब्याज पर अन्य स्तिथियों में टीडीएस की राशि अभी भी 5 हजार रूपये से अधिक पर ही काटनी होगी और यह सीमा कई वर्ष पुरानी है जिसे भी बढ़ाना चाहिए. यह सीमा इस समय बहुत ही कम है .

बस यही मुख्य परिवर्तन करों को लेकर इस अंतरिम बजट में किये गए हैं लेकिन उमीदें इससे अधिक थी और हो सकता है वे सभी पूरी हों जब आने वाली सरकार के पूरे बजट में पूरी हों विशेष तौर पर करों की दर को कम करना जो कि इस समय अधिकत्तम 30 प्रतिशत है. इसके अतिरिक्त निवेश पर छूट की राशी जो 1.50 लाख रूपये थी उसे बढ़ने की उम्मीद थी लेकिन वह भी पूरी नहीं हुई है और इसी तरह की निराशा मेडी- क्लेम की राशी को लेकर भी हुआ है . जमा बंदी की राशी चेक से लेने का 20 हजार का नियम भी वर्षों पुराना है लेकिन यह राशि भी वही रही है.

लेकिन फिर भी मध्यम वर्ग के करदाता के लिए 5.00 लाख तक की कुल आय पर कर शून्य होना इस बजट का बहुत बड़ा और एकमात्र आकर्षण हो सकता है . आइये पूर्ण बजट में एक और उम्मीद रखें .
– सुधीर हालाखंडी

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