जीएसटी के तहत गिरफ्तारी के प्रावधान
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जीएसटी के तहत गिरफ्तारी के प्रावधान
आज आपसे हम जीएसटी कानून से जुड़े एक बहुत ही संवेदनशील मुद्दे पर चर्चा कर रहें है और वह है जीएसटी कानून में गिरफ्तारी के प्रावधान . जीएसटी जिस समय भारत में लगाया गया था उस समय एक सवाल सबसे अधिक चर्चा का विषय था वह था क्या जीएसटी में गिरफ्तारी भी हो सकती है ? और यदि हाँ तो किन परिस्तिथियों में किसी एक डीलर को जीएसटी अधिकारियों द्वारा गिरफ्तार किया जा सकता है और क्या जीएसटी कानून की किसी भी प्रक्रिया का पालन नहीं किये जाने पर ही किसी डीलर को जीएसटी अधिकारी गिरफ्तार कर सकते हैं .
आइये देखें कि क्या है जीएसटी कानून में गिरफ्तारी की प्रावधान और किस तरह हम यह कह रहें हैं कि सामान्य रूप से आम करदाता इनसे लगभग अप्रभावित है .
कब लागू होंगे जीएसटी में गिरफ्तारी के प्रावधान
जीएसटी में गिरफ्तारी के प्रावधान जीएसटी कानून की धारा 69 में दिए गए हैं जिसे हम धारा 132 के साथ पढेंगे तो यह पायेंगे कि यह प्रावधान केवल विशेष प्रकार की कर की चोरी पर ही लागु है और तभी लागू होंगे जब कि कर की चोरी की रकम 2 करोड़ रुपये से अधिक हो तो आप यह मान कर चलिए आम करदाता का इस प्रावधान से सामान्य तौर पर कोई सम्बन्ध नहीं है.
एक और बात जो इस प्रावधान के साथ जुडी है वह अह है कि स्थानीय जीएसटी अधिकारीयों को गरफ्तारी का अधिकार प्राप्त नहीं है और यह गिरफ्तारी जरूरी है या नहीं है इसका फैसला लेने का अधिकार सिर्फ जीएसटी आयुक्त को ही है और ऐसा फैसला लेने के बाद आयुक्त ही किसी अधिकरी को इस गिरफ्तारी के लिए अधिकृत करेंगे.
आइये इन प्रावधानों का अध्ययन करें जो कि जीएसटी कानून की धारा 69 में दिये गये हैं :-
जो मामले धारा 69 में गिरफ्तारी के लिए बताये गए हैं वे धारा 132(1) की उपधारा (a) , (b) , (c) और (d) में उल्लेखित हुए कर चोरी के मामले हैं आइये देखें कि ये क्या मामले हैं जिनमें यदि जीएसटी आयुक्त, यदि उनके पास ऐसा विश्वास करने के कारण है कि डीलर ने निम्नलिखित अपराध किये हैं और इनमें कर चोरी की रकम एक निश्चित सीमा से अधिक है तो वे तो डीलर की गिरफ्तारी की आदेश दे सकते हैं . आइये देखें कि धारा 132 (1) में उल्लेखित वे अपराध कौनसे है :-
धारा 132 के वे मामले जिनमें जीएसटी आयुक्त धारा 69 के तहत गिरफ्तारी के आदेश दे सकते हैं |
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धारा 132 की उपधारा |
अपराध का विवरण |
(a). |
कर चोरी के उद्देश्य से कोई भी व्यक्ति बिना बिल जारी किये किसी भी माल या सेवा की सप्लाई करता है . |
(b) |
कोई भी व्यक्ति जीएसटी प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए किसी माल या सेवा अथवा दोनों की सप्लाई किये बिना ही बिल जरी करता है जिससे कोई गलत इनपुट ली गई हो या किसी प्रकार का रिफंड लिया गया हो. |
(c) |
कोई भी बिना माल या सेवा अथवा दोनों की सप्लाई हुए बिना जारी किये गए ऐसे बिल जिनका उल्लेख ऊपर (b) में किया गया है के आधार पर इनपुट क्रेडिट लेता है |
(d) |
कोई भी व्यक्ति यदि जीएसटी कर अपने ग्राहक से एकत्र करता है और उसके जमा करने की नियत तिथी से तीन महीने तक उसे जमा नहीं कराता है . |
इन 4 प्रकार के अपराधों पर जीएसटी आयुक्त डीलर की गिरफ्तारी का फैसला ले सकते हैं यदि वे जरुरी समझे तो लेकिन यह फैसला लेने के पहले यह भी देखना होगा कि यह अपराध धारा 132(1) की उपधारा (i) अथवा (ii) के तहत दंडनीय हैं और यदि ऐसा नहीं है तो फिर गिरफ्तारी के आदेश नहीं दिए जा सकते हैं.
132(1) की उपधारा (i) या (ii) का अध्ययन करने पर ये पता लगता है कि उपधारा (i) तो 5 करोड़ से ऊपर की कर चोरी को संबोधित करती है और उपधारा (ii) 2 करोड़ से 5 करोड़ की कर चोरी के लिए है यहाँ आप ध्यान रखे कि हम यहाँ गिरफ्तारी के प्रावधान जो कि धारा 69 में दिए हैं उनका अध्ययन कर रहें हैं ना कि इन अपराधों पर सजा के प्रावधानों का. 2 करोड से ऊपर की चोरी पर गिरफ्तारी का प्रावधान तो है ही लेकिन इससे नीचे के अपराध भी तय हो जाने पर भी सजा का प्रावधान तो है ही लेकिन इनमें धारा 69 में दिए गए प्रावधानों के अनुसार गिरफ्तारी के आदेश नहीं दिये जा सकते है. इस प्रकार से यह स्पष्ट है कि किन अपराधों के लिए गिरफ्तारी के आदेश देने के अधिकारों का प्रयोग किया जा सकता है लेकिन यह भी ध्यान रखें इन प्रकरणों में टैक्स की चोरी की रकम 2 करोड़ से अधिक होनी चाहिए .
आइये इस सम्बन्ध में धारा 69 जो कि जीएसटी आयुक्त के गिरफ्तारी के अधिकारों के सम्बन्ध में है के अन्य प्रावधानों का अध्ययन करें :-
क्र. संख्या |
प्रावधान |
1. |
यदि जीएसटी आयक्त के पास ऐसे कारण है जिनसे उन्हें यह विश्वास होता ही कि एक डीलर ने धारा 132 की उपधारा (a) , (b) , (c) और (d) में उल्लेखित कर चोरी का अपराध किया है और जीएसटी आयुक्त ऐसे विशिष्ट मामलों में जहां कर चोरी की रकम 2 करोड़ रूपये से अधिक हो गिफ्तारी के आदेश दे सकते हैं . इसी तरह का अपराध यदि एक बार सजा पाने के बाद दूसरी बार किये जाते हैं और जिनमें धारा 132 के तहत “फिर से सजा हो सकती है” तो आयुक्त 2 करोड़ की कर चोरी की सीमा को ध्यान में रखे बिना गिरफ्तारी का आदेश दे सकते हैं. आयुक्त ऐसे हर मामले में गिरफ्तारी की आदेश देंगे ही ऐसा भी कानून में नहीं लिखा है वे गिरफ्तारी के आदेश दे सकते हैं और यह जीएसटी आयुक्त के विवेक पर छोड़ा गया है कि वे इस बारे में क्या ऐसा आदेश देना चाहते हैं . |
2. |
यदि जीएसटी आयुक्त गिरफ्तारी का आदेश देते हैं तो वे इसके लिए अधिकारी को अधिकृत करेगे. यहाँ ध्यान रखे गिफ्तारी तो अधिकृत अधिकारी करेगा लेकिन उसे गिरफ्तारी का फैसला लेने का अधिकार नहीं है. |
3. |
गिरफ्तारी के लिए दो तरह के मामले होंगे . एक तो वह जिनमें जमानत मिल सकती है और दूसरे वे जिनमें गैर –जमानती होंगे . इन दोनों का विवरण इस लेख में आगे दिया जा रहा है. |
4. |
जिस भी व्यक्ति को इस कानून के तहत गिरफ्तार किया जाता है उसके अधिकारों की रक्षा का भी प्रबंध इस कानून में है . जिस व्यक्ति को इस धारा के तहत गिरफ्तार किया जाता है जहाँ उल्लेखित अपराध की श्रेणी गैर जमानती है तो उस डीलर को गिरफ्तारी के कारण बताने होंगे और और गिरफ्तारी के 24 घंटे के अन्दर मजिस्ट्रेट के सामने प्रस्तुत करना होगा. गैर जमानती अपराध वे होंगे जिनमें कर चोरी का आरोप 5 करोड़ से अधिक है. |
4. |
जहां उल्लेखित अपराध जिसके लिए गिरफ्तारी की गई है जमानती है अर्थात कर चोरी की आरोपित रकम 5 करोड़ रूपये से कम है वहां डीलर को जमानत दे दी जाएगी और यदि जमानत में कोई व्यवधान आता हैं तो उसे मजिस्ट्रेट को सुपुर्द करना होगा. |
5. |
जमानती मामलों के संम्बंध में गिरफ्तार व्यक्ति को जमानत पर या किसी अन्य तरीके से छोड़ने के जीएसटी के सहायक आयुक्त एवं उपायुक्त को वही अधिकार प्राप्त हैं जो कि एक पुलिस स्टेशन के इंचार्ज को इस सम्बन्ध में प्राप्त है . |
यहाँ यह ध्यान रखें कि गिरफ्तारी का आदेश देने के पहले जीएसटी आयुक्त को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके पास यह विश्वास करने के कारण हैं कि डीलर ने, ये अपराध जो ऊपर उल्लेखित हैं, किये हैं जिनका जिक्र धारा 132 (1) (a) , (b), (c) और (d) में है और कर चोरी की रकम 2 करोड़ रूपये से अधिक है. डीलर की गिरफ्तारी एक बहुत ही संवेदनशील विषय है और इसलिए कानून में इस प्रावधान को बहुत ही सावधानी के साथ बनाया गया है .
यहाँ यह ध्यान रखे कि 5 करोड़ से ऊपर की कर चोरी के अपराध गैर जमानती है और इससे नीचे के अपराध में जमानत उसी समय मिल सकती है .
गिरफ्तारी कब की जानी चाहिए
यह विशुद्ध रूप से आयुक्त के विवेकाधीन निर्णय पर आधारित है लेकिन जैसा कि मैंने पहले भी लिखा है गिरफ्तारी और वह भी एक कर कानून के तहत यह एक बहुत ही संवेदनशील मामला है अत: इन अधिकारों का प्रयोग बहुत ही सावधानी से किया जाना चाहिए । निर्णय लेने के दौरान सामन्य रूप से निम्नलिखित कारकों को ध्यान में लेने के बाद ही शक्ति का उपयोग किया जाना चाहिए: –
1. अपराध की उचित जांच। |
2. फरार होने से व्यक्ति को रोकने के लिए |
3. सबूतों के साथ छेडछाड होने की संभावना को रोकने के लिए। |
4. गवाह या गवाहों को डरा देने या प्रभावित करने से रोकने के लिए। |
ये कुछ कारण हैं जिन्हें एक व्यक्ति को गिरफ्तार करने का निर्णय करते समय विचार किया जाना चाहिए।
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