देरी से फ़ाइल आयकर रिटर्न करने के प्रभाव
देरी से फ़ाइल आयकर रिटर्न करने के प्रभाव
1. आयकर अधिनियम के अनुसार दो श्रेणी के करदाता हैं:- एक तो वे जिनके खाते आयकर कानून या अन्य किसी कानून के तहत सीए से अंकेक्षित होते हैं जैसे धारा 44एबी, धारा 12 ए आदि, कम्पनी, सोसाइटी आदि। ऐसे मामलों में आयकर रिटर्न फ़ाइल करने की तारीख 30 सितम्बर होती है जिसे इस वर्ष बढाकर 15 अक्टूबर किया गया है।
अन्य आयकर दाता जैसे छोटे व्यापारी, वेतन भोगी, किराए की आय वाले, कैपिटल गेन वाले व अन्य स्रोतों से आय वाले करदाताओं की आयकर रिटर्न फ़ाइल करने की निर्धारित तारीख 31 जुलाई होती है जो इस वर्ष बढ़ाकर 31 अगस्त कर दी गई थी।
2. आयकर की रिटर्न निर्धारित तिथि के बाद भी फ़ाइल की जा सकती है। जिसे बिलेटेड रिटर्न कहते हैं।पिछले साल तक वित्त वर्ष समाप्त होने के दो वर्ष तक भी बिलेटेड रिटर्न फाइल हो सकती थी जिस पर धारा 234 ए का ब्याज लगता था।
इस वित्तिय वर्ष में जिसने निर्धारित तिथि पर रिटर्न दाखिल नहीं की है वह बिलेटेड रिटर्न संबंधित वित्तिय वर्ष के समाप्त होने से एक वर्ष के भीतर ही भर सकता है।
इसके बाद सिर्फ धारा 148 का नोटिस आने पर ही रिटर्न भरी जा सकती है अन्यथा नहीं।
3. रिटर्न समय पर न भरना:- पिछले वर्ष तक आयकर अधिनियम में धारा 271एफ थी जिसके तहत संबंधित वित्तिय वर्ष की समाप्ति से एक वर्ष के बाद एवम दो साल के भीतर जो रिटर्न भरी जाती थी उन पर 5000 रुपये की पेनल्टी का प्रावधान था। लेकिन पेनल्टी लगाने से पूर्व करदाता को कारण बताओ नोटिस जारी होता था। उचित एवं पर्याप्त कारण होते थे तो पेनल्टी नहीं लगती थी। पेनल्टी की कार्यवाही शुरू करना भी निर्धारण अधिकारी के विवेक पर था। वो पेनल्टी की कार्यवाही शुरू करे तो करे वरना न करे।
4. इस वर्ष आयकर रिटर्न फाइल करने का समय जो वित्तिय वर्ष समाप्ति के पश्चात दो वर्ष मिलता था उसको घटाकर एक वर्ष कर दिया एवं पेनल्टी की धारा 271 एफ की समाप्त करके लेट फीस की धारा 234 एफ इंट्रोड्यूस कर दी।
इसका प्रभाव यह है कि निर्धारित तिथि के बाद जो भी रिटर्न भरी जाएंगी उनके साथ ही धारा 234 एफ के अनुसार लेट फीस की गणना करके रिटर्न फ़ाइल करने से पूर्व जमा करानी होगी। न कोई कारण बताओ नोटिस, न माफी का चक्कर। सीधी लेट फीस लगेगी, जो वास्तव में पेनल्टी ही प्रतीत होती है।
लेट फीस:-निर्धारित तिथि के बाद से 31 दिसंबर तक फ़ाइल करने पर 5000 रुपये लेट फीस,1 जनवरी से 31 मार्च तक रिटर्न फ़ाइल करने पर10,000 रुपये लेट फीस। अगर टोटल इनकम पांच लाख से कम है तो लेट फीस अधिकतम एक हजार रुपये ही लगेगी। चाहे 31 दिसम्बर से पहले रिटर्न फाइल करो या बाद में।
5. निर्धारित समय पर आयकर रिटर्न न फ़ाइल करने के अन्य प्रभाव:- अगर कोई लॉस कैरी फारवर्ड का केस है तो लॉस कैरी फॉरवर्ड नहीं होगा। ट्रस्ट के मामलों में धारा 11 की छूट नहीं मिलेगी। रिटर्न के स्क्रूटिनी में आने की संभावना भी ज्यादा होगी।
अतः समय पर रिटर्न भरें। भूल चूक से नहीं भरी तो अब तुरन्त भरें।
सीए रघुवीर पूनिया,
जयपुर
9314507298

Consultant
Faridabad, India
As a Consultease Administrator, I'm responsible for the smooth administration of our portal. Reach out to me in case you need help.