नोटबन्दी व इनकम टैक्स (धारा 69ए)
नोटबन्दी मोदी सरकार का एक ऐतिहासिक कदम है। इससे देश ने क्या पाया क्या खोया इसके समग्र रूप में परिणाम हमें दीखने शुरू हो गए हैं।इनकम टैक्स विभाग ने नोटबन्दी के साल के कर निर्धारण प्रक्रिया हाल ही में दिसम्बर में पूरी की है। उन मामलों में अब अपील की जा रही है।कितना टैक्स लगा होगा क्या आप सोच सकते हैं?
अगर एक व्यक्ति ने दस लाख रुपए जमा कराए हैं तो उस पर कितनी टैक्स लायबिलिटी आएगी। 60% टैक्स, 25% सरचार्ज अतः कुल 75% प्लस 33 महीने का ब्याज। इस तरह से जितने रुपए जमा कराए हैं उससे थोड़ी ज्यादा डिमांड निकलेगी।
इसी कड़ी में कुछ सच्चे केसेज पर मैं यह सीरीज लिख रहा हूँ:-
प्रथम कड़ी:-
जिसमें दुबई में कारीगरी का काम करने वाले एक व्यक्ति की कहानी है। जिसने कभी कोई टैक्स चोरी नहीं की। विदेश में जाकर, घर परिवार से दूर रहकर पैसा कमाया। सरकार ने उनकी आय को करमुक्त कर रखा है:
एक व्यक्ति दुबई में रहता था। पेशे से कारीगर था। घर-परिवार से दूर। लेकिन उसे शकुन इस बात का था कि वह अपने परिवार के लिए दो पैसे कमा रहा है। उसके बच्चे पैसे के लिए दुख नहीं पाएंगे।
मई 2015 में वह विदेश जाने लगा। वैसे तो वह पैसे बैंक में रखता था। लेकिन विदेश जाने से पहले वह बैंक गया। अपने सेविंग्स खाते से 12 लाख रुपए निकाले। यह उसकी विदेश की गाढ़ी कमाई के थे। जो टैक्स फ्री थी। पैसे उसने अपने सरपंच भाई को दे दिए। और कहा कि अपने खेत के पास वाली जमीन बिकाऊ है। अगर सौदा बैठ जाए तो खरीद लेना। 12 लाख रुपये तो ये रखो। बाकी मैं दुबई से भिजवा दूंगा एक महीने का टाइम ले लेना।
समय निकलता गया। सौदा नहीं बैठा। मई 2015 से नवम्बर 2016 आ गया। 18 महीने बीत गए। 8 नवम्बर आ गई। कालेधन पर सर्जिकल स्ट्राइक। मगर वह खुश था। उसका पैसा तो सफेद था।
उसी दौरान वह दुबई से वापिस इंडिया आया। सरपंच भाई ने उसे साढ़े ग्यारह लाख रुपये देते हुए कहा बाकी मैंने तुम्हारे बच्चों के लिए खर्च कर दिए। यह लो, अपनी अमानत सम्भालो। उसने 11.50 लाख रुपए बैंक में जमा कराए। आयकर रिटर्न भी भरता था।
एक दिन अचानक इनकम टैक्स का नोटिस आया। 11.50 लाख रुपये का स्रोत व नेचर बताओ। वह अपनी पास बुक लेकर इनकम टैक्स आफिस गया। सारी बात बताई।
इनकम टैक्स अधिकारी ने उससे कहा, आपको आने की जरूरत नहीं है। ऑनलाइन जवाब दो। वह लोकमित्र गया। पास बुक की स्कैन कॉपी लगाई। जवाब दिया। स्रोत बताया कि 18 महीने पहले जो खाते से 12 लाख रुपए निकाले थे, उनमें से ही ये साढ़े ग्यारह लाख जमा कराए हैं।
आयकर अधिकारी ने कहा 18 महीने पैसे कहाँ रखे? उसने भाई को जमीन खरीदने के लिए देने की बात ऑनलाइन लिखकर दी। आयकर अधिकारी ने कहा इस बात के साक्ष्य पेश करो।
लोकमित्र वाला नहीं जानता था साक्ष्य कैसे पेश होते हैं। उसने दुबारा बैंक की पास बुक स्कैन करके अपलोड कर दी कहा कि यही साक्ष्य है।
आयकर अधिकारी की ओपिनियन में करदाता द्वारा 11.50 लाख रुपये के स्रोत एवं नेचर के बारे में दिया गया स्पष्टीकरण संतोषप्रद नहीं पाया गया। अतः 11.50 लाख रुपए की डिपाजिट को अनेक्शप्लेंड मनी माना व डिमांड इनकम मानते हुए धारा 115BBE में टैक्स लगा दिया।
करीब 12 लाख की डिमांड निकली।
करदाता चुरू जिले के एक गाँव का रहने वाला है। जबकि उसको नोटिस हनुमानगढ़ से मिला। फिर उसका केस जयपुर ट्रांसफर कर दिया गया क्योंकि उसकी आय विदेश से थी। अब उसकी अपील की सुनवाई दिल्ली में होगी। मेरे पास आकर जयपुर में अपील कराई। हमारी विधायक महोदया से सिफारिश कराई। 20% डिमांड जमा कराके स्टे लिया।
उसको आज तक समझ नहीं आया कि उसने कौनसे कानून का उल्लंघन किया है? क्यों विदेश की धरती से कमाया यह पैसा ब्लैक मनी हो गया? उसने मुझे अपील फ़ाइल करने की फीस का चेक देते हुए कहा सीए साहब एक बात बता दो, कि मेरा यह पैसा ब्लैक मनी कैसे हो गया।
मेरी सीए की पढ़ाई फैल थी। मेरा 24 साल की टैक्स प्रैक्टिस का अनुभव धरा रह गया।मैं कोई जवाब नहीं दे पाया। मैंने कहा चिंता मत करो, मैं सब देख लूंगा।
उसने कहा दिल्ली के अपील वाले अफसर भी संतुष्ट नहीं होंगे तो फिर कहाँ जाएंगे। दिल्ली से आगे, हिंदुस्तान में तो कोई जगह नहीं है।
सीए रघुवीर पूनिया, 9314507298