पिछले रिटर्न में गलती सुधारने का मिलेगा मौका !
पिछले रिटर्न में गलती सुधारने का मिलेगा मौका !
दिल्ली हाई कोर्ट ने भरे जा चुके जीएसटी रिटर्न में संशोधन या सुधार की व्यवस्था नहीं होने पर हैरानी जताई है और जीएसटीएन से इस बारे में स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने शिकायतों के रिड्रेसल सिस्टम को भी दुरुस्त करने का निर्देश भी दिया है और कहा है कि असेसी को सिर्फ यह मैसेज भेज देना काफी नहीं है कि निपटारा हो गया। उसे बताना होगा कि किस शिकायत को कैसे हल किया गया।
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस चंद्रशेखर की बेंच ने दिल्ली सेल्स टैक्स बार एसोसिएशन की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान ये निर्देश दिए। याचिका में कहा गया था कि जीएसटीएन पोर्टल अब तक भरे जा चुके रिटर्न में संशोधन या सुधार की इजाजत नहीं देता। गलती का पता चलने पर बैकमंथ में न जाकर उसी महीने सुधार करना पड़ता है। लेकिन ऐसा करते ही GSTR-1 और GSTR-3B में मिसमैच दर्शाने लगता है, जिससे बड़ी संख्या में लोग परेशान हैं।
सेल्स टैक्स बार एसोसिएशन के पूर्व प्रेसिडेंट संजय शर्मा ने बताया कि पिछली टैक्स रिजीम में टैक्सपेयर्स को यह सहूलियत थी कि वह किसी भी महीने की रिटर्न में संशोधन कर सके। लेकिन अब ऐसा नहीं है। अगर किसी ने अक्टूबर 2017 के रिटर्न में कोई गलती कर दी, जिसका पता जनवरी 2018 में लगा तो पोर्टल जनवरी माह के कॉलम में ही वह सुधार करने का प्रावधान करता है। इसके बाद मिसमैच की दिक्कतें आ रही हैं। अभी कोर्ट ने जीएसटीएन से स्टेटस रिपोर्ट मांगी है और जिस तरह पूरे देश में मिसमैच को लेकर लोग परेशान हैं, उम्मीद है कि इस पर राहत मिलेगी।
कोर्ट ने याचियों की इस शिकायत को गंभीरता से लिया है कि जीएसटीएन की ओर से किसी समस्या के निपटारे के जवाब में ‘रिजॉलव्ड एंड क्लोज्ड’ भेज दिया जाता है, जबकि समस्या कायम रहती है। उसने जीएसटीएन से कहा है कि वह यह भी बताए कि किसी शिकायत के निपटारे के लिए क्या कदम उठाया गया और किस तरह समाधान किया गया। बेंच ने इलेक्ट्रॉनिक कैश लेजर में नॉन क्रेडिट/पेमेंट की शिकायतों पर भी जीएसटीएन से जवाब मांगा है। जीएसटीएन के वकील ने दलील दी थी कि कई बार शिकायतों पर असेसीज को ई-मेल भेजा जाता है, जिसका जवाब नहीं आता। 7 दिन के भीतर जवाब नहीं आने पर इश्यू को रिजॉल्व्ड मान लिया जाता है।