फाइनल फैसले के बाद भी 8 साल तक रिफण्ड नहीं मिलने पर हाइकोर्ट में रिट लगानी पड़ी।
आयकर विभाग ने रिफण्ड न देने का हाइकोर्ट में जो जवाब दिया वो बहुत इंटरेस्टिंग है:-
12 सितम्बर 2019 को एक mandamus रिट पर दिए अपने आदेश में मद्रास हाइकोर्ट ने नारायणन चेट्टियार इंडस्ट्रीज बनाम आईटीओ नॉन कॉरपोरेट वार्ड 12(1) (2019) 111 टैक्समैन.कॉम 65 ( madras) में आयकर विभाग को दिया आदेश :-
# करदाता ने 15 साल केस लड़कर 63 लाख की डिमांड को कराया 5 लाख।
#तीन बार कमिश्नर अपील्स के पास जाना पड़ा।
#रिफंड फाइनल होने के बाद भी 8 साल बीत गए, फिर भी आया नहीं रिफंड।
#आखिर हाइकोर्ट में लगानी पड़ी रिट।
1. निर्धारण वर्ष 1990-91 की धारा 143(3)/147 में रुपये 63, 23, 528/- की टैक्स की डिमांड निकली।
2. कमिश्नर अपील्स ने अपने 03.02.2000 के फैसले में वापिस ito के पास रिमांड कर दिया।
3. करदाता ने इस आर्डर की ट्रिब्यूनल में अपील की। ट्रिब्यूनल ने अपने 14.05.2001 व 1.10.2001 के फैसले में ito के पास वापिस भेजने के फैसले को सही ठहराया।
4. Ito ने अपने दिनांक 02.12.2002 के धारा 143(3)/254 के आदेश में डिमांड को 63.23 लाख से कम करके 40.78 लाख कर दी।
5. करदाता ने फिर इस आदेश की कमिश्नर अपील्स के यहां अपील की। कमिश्नर अपील्स ने अपने दिनांक 20.12.2006 के आदेश से फिर इस 40.78 लाख रुपए की डिमांड को कम करने का आदेश दिया।
6. जिस पर ito ने दिनांक 29.03.2007 को अपील इफ़ेक्ट दिया तो डिमांड 40.78 लाख रुपए से कम होकर 20.49 लाख हो गई।
7. करदाता ने इस अपील इफ़ेक्ट के आदेश की फिर कमिश्नर अपील के यहां अपील कर दी। कमिश्नर अपील ने फिर अपने दिनांक 26.04.2011 के आदेश से और रिलीफ दे दी।
8. कमिश्नर अपील्स के इस आदेश का ito ने दिनांक 08.06.2011 को अपील इफ़ेक्ट दिया तो डिमांड घटकर 5.31 लाख रह गई।
9. इस दौरान कर वसूली अधिकारी ने करदाता से रिकवरी भी कर ली। इससे करदाता का फाइनली 15 लाख अठारह हजार छह सौ सत्तर रुपए का रिफण्ड दिनांक 08.06.2011 को due हो गया।
10. आयकर विभाग आगे अपील में नहीं गया। इसलिए यह रिफण्ड फाइनल हो गया।
### समय बीतता गया। करदाता चिट्ठियां, रिमाइंडर देता रहा। न रिफण्ड आया। न कोई संतोषजनक जवाब आया। जून 2011 में रिफण्ड फाइनल होने के 8 साल बाद करदाता ने 2019 में अपना रिफण्ड लेने के लिए मद्रास हइकोर्ट में mandamus रिट लगाई। तब जाकर आयकर विभाग को रिफण्ड देने का आदेश दिया।
रिट का आयकर विभाग ने हाइकोर्ट में जवाब दिया वह इंटरेस्टिंग है:-
1. विभाग में ओरिजिनल रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है।
2. जो reconstituted रिकॉर्ड है वह भी इनकम्प्लीट है
3. 8 जून 2011 के आदेश जिसमे रिफंड फाइनल determind किया है वह रिकॉर्ड भी उपलब्ध नहीं है
4. इसलिए रिफंड कैलकुलेट करना crucial है।
5. विभाग के पुराने रिकॉर्ड के कस्टोडियन मैसर्स राइटर्स इन्फॉर्मेशन को पुराने रिकॉर्ड के लिए लिखा है, जवाब का इंतजार है।
6. अगर करदाता के पास रिकॉर्ड है तो वह उपलब्ध करा दे जिससे रिफण्ड देने में समय न लगे।
7.इसलिए या तो कस्टोडियन या करदाता से रिकॉर्ड आते ही रिफंड दे दिया जाएगा
8. रिक्वेस्ट है कि कोई एडवर्स आर्डर न पास किया जाए। चार सप्ताह में रिफंड दे दिया जाएगा।
चार सप्ताह में ब्याज सहित रिफंड देने के दिए आदेश दिए।