सैलरीड पर्सन्स की पुरानी सालों में इनकम टैक्स की डिमांड
सैलरीड पर्सन्स की पुरानी सालों में इनकम टैक्स की डिमांड:
हमारे सामने पिछले साल में ऐसे कई मामले आए हैं:-
पहले के समय कर्मचारी का टीडीएस कट जाता था। डीडीओ या employer उसको फॉर्म 16 दे देता था। जिसमें काटे गए इनकम टैक्स का पूरा विवरण होता था। आयकर विभाग ने आयकर रिटर्न के साथ फॉर्म 16 लगाने की अनिवार्यता करीब 10 साल पहले खत्म कर दी थी। आयकर विभाग ने काटे गए टीडीएस का ऑनलाइन वेरिफिकेशन करना शुरू कर दिया।
जिनका वेरिफिकेशन नहीं हो पाया उनके खिलाफ आयकर विभाग ने डिमांड निकाल दी। कुछ कर्मचारियों को डिमांड के बारे में पता चला, कुछ को नहीं पता चला। क्योंकि कर्मचारियों के पते की समस्या सबसे ज्यादा रहती है क्योंकि ट्रान्सफर होते रहते हैं।
बहुत सारे कर्मचारियों को तो डिमांड का जब पता चला, जब आयकर विभाग ने उनकी पुरानी डिमांड की वसूली के लिए उनके रिफंड रोक लिए। या अन्य वसूली के लिए सख्ती की या कठोर कदम उठाए।
:::: क्या करें :- सबसे पहले आयकर विभाग में अपना स्थाई पता दें। पैन डाटा बेस में चेंज कराएं। लिखित में चिट्ठी दें रसीद लें।
:::: दूसरे डिमांड वाली साल का फॉर्म नम्बर 16 की प्रति लगाकर आयकर विभाग में मजबूती के साथ दावा पेश करें कि मेरा टीडीएस कट चुका है। ऑनलाइन वेरिफिकेशन नहीं हो रहा है तो इसमें कर्मचारी की कोई गलती नहीं है, गलती डीडीओ या एम्प्लायर की है। कर्मचारी से दो बार वसूली नहीं हो सकती।
::: आयकर अधिनियम की धारा 205 में स्पष्ट प्रावधान है।
::::यशपाल साहनी बनाम रेखा hajarnavis,acit (2007) 293 ITR 538 एवं नरेश गोविंद vaze बनाम आईटीओ वार्ड iv, (2012) 209 टैक्समैन 30 बॉम्बे हाइकोर्ट के मामले में भी यह रूलिंग है कि करदाता ने टीडीएस कटने का proof दे दिया है तो दुबारा वसूली नहीं हो सकती।
सीए रघुवीर पूनिया 9314507298
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