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सीए पर तामील कराए गए नोटिस की वैधता

सीए पर तामील कराए गए नोटिस की वैधता

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस यू.यू. ललित एवं जस्टिस इंदु मल्होत्रा की बेंच ने पीसीआईटी (सेंट्रल)-1 बनाम एनआरए आयरन एन्ड स्टील प्राइवेट लिमिटेड (2019) 110 taxmann.com 491 के निर्णय में, व्यवस्था देते हुए, अपने दिनांक 5 मार्च 2019 के निर्णय को रिकॉल (वापिस लेने) करने से इनकार कर दिया।

सीए कम्युनिटी के लिए यह निर्णय दूरगामी प्रभाव डालेगा। सीए कम्युनिटी को इस निर्णय के बाद यह सोचना होगा कि क्या उसको क्लाइंट के behalf पर नोटिस लेने चाहिए या नहीं? लेने चाहिए तो उसके बाद उसका क्या दायित्व है? जैसे इसी केस में सीए स्वयं तो सुप्रीम कोर्ट में उपस्थित हो नहीं सकता, तो सीए ने कम्पनी को सूचित नहीं किया, तो क्या यह प्रोफेशनल मिस कंडक्ट तो नहीं है?

अगर क्लाइंट को सूचित कर भी दिया है तो क्या सीए को इसका रिकॉर्ड रखना चाहिए?

पूर्व में कई बार न्यायालयों ने करदाताओं को इस आधार पर रिलीफ दी है कि सीए या counsel की गलती के लिए करदाता को punish नहीं किया जाना चाहिए।
counsel की नॉन अपीयरेंस की वजह से खारिज की गई अपील्स को restore करके दुबारा सुनवाई की है। counsel की गलती से delayed अपील्स की delay condone की है।

लेकिन इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए यह संदेश दिया है कि अनुशासन हीनता के लिए कोई गुंजाइश नहीं है।

उधर सरकार का भी कंप्लायंस पर पूरा जोर है चाहे इनकम टैक्स हो, टीडीएस हो, कम्पनी एक्ट के मामले हो, जीएसटी के मामले हो। ज्यादातर मामलों में देरी पर लेट फीस हैं, प्रतिदिन के हिसाब से।

5 मार्च 2019 को (2919) 103 टैक्समैन.कॉम 48, माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कम्पनी के खिलाफ जो निर्णय दिया गया था, उस निर्णय को रिकॉल करने की मांग कम्पनी ने इस आधार पर की थी कि आयकर विभाग ने जो एसएलपी लगाई थी उसका नोटिस कम्पनी को तामील नहीं हुआ। अतः कम्पनी के पक्ष को सुने बिना ही आयकर विभाग के पक्ष में एक तरफा फैसला कर दिया गया। कम्पनी को सुप्रीम कोर्ट के 5.3.19 के कम्पनी के विरुद्ध हुए फैसले की जानकारी दिनांक 07.03.2019 के इकनोमिक टाइम्स में छपी खबर से मिली।

आयकर विभाग ने अपना पक्ष जोरदार ढंग से रखा व यह साबित कर दिया कि, आयकर विभाग ने कम्पनी के चार्टर्ड अकाउंटेंट श्री संजीव नारायण को दस्ती नोटिस दिनांक 13.12.2018 को सर्विस करा दिया था।

कम्पनी ने अपने पक्ष में निम्नलिखित तर्क दिए:-

1. सीए संजीव नारायण को कम्पनी ने हाइकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के लिए कभी engage नहीं किया था।

2. सीए संजीव नारायण ने नोटिस लेना तो स्वीकार किया लेकिन यह कहा कि वह इस विश्वास में था कि आयकर विभाग के निरीक्षक ने इनकम टैक्स की रिटर्न के पेपर दिए हैं।

3. सीए संजीव नारायण ने 13 दिसम्बर 2018 को नोटिस लेने के बाद 4 जनवरी 2019 को व 23 जनवरी 2019 को दोनों आंखों का ऑपरेशन कराया।

4. सीए कम्पनी का प्रिंसिपल ऑफिसर नहीं है जो सीए पर नोटिस तामील कराया जा सके।

सुप्रीम कोर्ट ने उक्त चारों तर्कों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि:-

1. सुप्रीम कोर्ट ने itat व हाइकोर्ट की फ़ाइल मंगवाई व आयकर विभाग द्वारा दिए गए एफिडेविट के आधार पर यह माना कि आयकर विभाग में asessee कम्पनी द्वारा चार्टर्ड अकाउंटेंट के पक्ष में दी गई पावर ऑफ अटॉर्नी में स्पष्ट लिखा है कि सम्बंधित निर्धारण वर्ष से सम्बंधित सारे अधिकार सीए के पास हैं, नोटिस लेने से सम्बंधित भी। इसलिए ये कोई मायने नहीं रखता की कम्पनी ने हाइकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के लिए सीए को engage नहीं किया था।

2. सीए दस्ती फ़ाइल को देखकर भी सुप्रीम कोर्ट के नोटिस को आयकर रिटर्न के कागज समझे ये बात विश्वास से परे है।

3. सीए की आंख की सर्जरी 4 जनवरी 2019 को हुई। नोटिस 13 दिसम्बर को तामील हो गया था। इस बीच सीए इसी कम्पनी व इसकी सिस्टर कन्सरन्स के लिए विभाग में 14 दिसम्बर, 21 दिसम्बर, 28 दिसम्बर व 29 दिसम्बर को उपस्थित हुआ अतः सीए के पास आंख का आपरेशन कराने से पूर्व पर्याप्त समय था। इसके अलावा कम्पनी ने पावर ऑफ अटॉर्नी सीए फर्म के अन्य तीन पार्टनर्स के पक्ष में भी दी थी।

4. आयकर अधिनियम की धारा 2(35) में जो प्रिंसिपल ऑफिसर की परिभाषा दी है उसमें एजेंट भी शामिल है। पावर ऑफ अटॉर्नी होल्डर भी एजेंट होता है। इसके लिए स्टेट ऑफ राजस्थान बनाम बसंत नाहटा के केस का हवाला दिया गया।

Profile photo of CA Raghuveer Poonia CA Raghuveer Poonia

Jaipur, India

Since 1995, He is handling all aspects of trust- income-tax registration u/s 12A, 80G, 10 (23C), compliance work, FCRA, foreign grants, NITI Ayog registration, Auditing, due diligence of channel partners, GST on NGOs, Income Tax scrutiny related to NGO/NPO and Social Service Organisation (Society/Trust/section 8/25 of companies act). This is the core area of practice and he has been handling the most complex cases pertaining to the above aspects. He is handling litigation /cases/matters related to income tax, before the Assessing Officer, CIT Appeals, ITAT across India. He is handling litigation /cases/matters related to GST, before adjudicating authority, Commissioner (Appeals) across India. He provides consultancy and opinions on income tax and GST matters for corporates and B2B. He is a regular panelist on TV debates as an expert in the matters of economy, taxation, Income Tax, GST, etc. He is a regular blogger and avid contributor on Income Tax, GST, and current economic issues. He also, handle issues related to ED investigation under PMLA. He also handles matters before NCLT regarding IBC and Company Law. He is a regular speaker in seminars/webinars. He has developed a new passion to be a YouTuber on the core matters mentioned above.

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