घर पत्नी के नाम। ब्याज की छूट किसे मिले
घर पत्नी के नाम। ब्याज की छूट किसे मिले, किश्त पति चुकाए ?
जबसे हमने सीए में एडमिशन लिया है तब से आज तक, किसी भी सोशल-गेद्रिन्ग में होते हैं, एक प्रश्न अक्सर पूछा जाता है।
–:— मैंने घर पत्नी के नाम से लिया, हाउसिंग लोन की किश्त मैं मेरे सैलरी एकाउंट से चुका रहा हूँ। क्या ब्याज की छूट मुझे मिलेगी????
आज एक साथी की सलाह पर मैंने इसका उत्तर तलाशने की कोशिश की।
इसके लिए धारा 22, 27 व धारा 64(1)(iv) रेलेवेंट हैं।
धारा 22 कहती है हाउस प्रोपेर्टी की इनकम ओनर के हैंड्स में टैक्स होगी।
धारा 27(i) कहती है कि अपने जीवन साथी को, बिना उचित प्रतिफल के हाउस प्रॉपर्टी ट्रांसफर की जाती है ट्रांसफर करने वाला डीम्ड ओनर माना जाएगा। अगर इस provision को थोड़ा ब्रॉडली पढ़ते हैं तो प्रॉपर्टी का डीम्ड मालिक पैसा देने वाला ही हुआ अर्थात किश्त चुकाने वाला।
अतः ब्याज की छूट भी डीम्ड ओनर को मिलेगी न कि जिसके नाम प्रोपेर्टी है, उसको।
इसके अलावा धारा 64(1)(iv) के क्लब्बिंग के प्रावधानों से भी मदद मिलती है। धारा 64(1)(iv) कहती है कि उचित प्रतिफल के बिना कोई एसेट अपने जीवन साथी को ट्रांसफर की जाती है तो उस एसेट से होने वाली आय ट्रांसफर करने वाले कि आय में क्लब होगी अर्थात जुड़ेगी।
इनकम टैक्स में इनकम का अर्थ पॉजिटिव व नेगेटिव दोनों है। अतः इंटरेस्ट की छूट भी किश्त देने वाले को मिलेगी, न कि जिसके नाम प्रॉपर्टी है, उसको।
हमारे इस व्यू को सपोर्ट किया है मद्रास हइकोर्ट के निर्णय एस.एम.ए. सिद्दीक बनाम आयकर आयुक्त (1984) 148 ITR 307 में करदाता सिद्दीक ने बॉरोड फंड्स से अपनी पत्नी व नाबालिग बच्चों के नाम से हाउस प्रॉपर्टी खरीदी। जिसकी किश्त व ब्याज वह स्वयं चुकाता था। उसने ब्याज की छूट स्वयं की इनकम में से ले ली। आयकर अधिकारी ने छूट देने से इनकार कर दिया। कमिश्नर अपील्स व ट्रिब्यूनल ने भी छूट के लिए इनकार कर दिया।
सिद्दीक ने मद्रास हइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। मद्रास हइकोर्ट ने अपने निर्णय के पैराग्राफ संख्या 12 में कहा कि धारा 22, 24(1)(vi), 27(i) व 64(1)(iv) के अधिनियम को “isolation” या “hyper-literal” सेंस में पढ़ने की बजाय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय आयकर आयुक्त बनाम महाराज कुमार कमल सिंह (1973) 89 ITR 1 में follow किए गए “wholesome manner of interpretation” के अनुसार पढ़ना चाहिए। करदाता द्वारा अपनी पत्नी व बच्चों के नाम खरीदे गए घर के लिए चुकाए गए ब्याज की छूट करदाता को मिलनी ही चाहिए। हाइकोर्ट ने must शब्द का प्रयोग किया है कि “….. assessee in this case must be entitled to the deduction of interest in the computation of income……”
इसके अलावा मद्रास हइकोर्ट ने गणेशन्स के केस (1965) 58 itr411 को भी रेफर किया है।
नोट:-वर्तमान में ब्याज की छूट धारा 24(b) में मिलती है जो पुराने समय में धारा 24(1)(vi) में मिलती थी।
सीए रघुवीर पूनिया, जयपुर। 9314507298