सुष्मिता सेन को डिस्प्यूट सेटल करने पर मिले कम्पनसेशन की टॅक्सिबिलिटी
फ़िल्म अभिनेत्री, मॉडल व 18 वर्ष की उम्र में मिस यूनिवर्स-1994 बनी सुष्मिता सेन को डिस्प्यूट सेटल करने पर मिले कम्पनसेशन की टॅक्सिबिलिटी पर बॉम्बे ट्रिब्यूनल का फैसला?????
सुष्मिता सेन ने कोका कोला इंडिया लिमिटेड (CCIL) के एम्प्लोयी की जो शिकायत की थी उसकी जांच कम्पनी कोऑनरेबल मिस्टर जस्टिस एस पी भरुचा, फॉर्मर सीजेआई से करानी पड़ी है।
करदाता ने कोका कोला इंडिया लिमिटेड के साथ 1.50 करोड़ रुपये में एक “सेलिब्रिटी इंगेजमेंट कॉन्ट्रक्ट” दिनांक 11.02.2002 को किया। जिसमें से एक करोड़ रुपये आ गए, पार्ट काम हो गया।
उसके बाद सुष्मिता सेन का कम्पनी के एक एम्प्लॉय ने सेक्सुअल हरैसमेंट किया, जिसकी वजह से सेन ने काम करना बंद कर दिया।
इस पर कम्पनी ने ब्रीच ऑफ कॉन्ट्रक्ट मानते हुए सेन से 145 लाख रुपये की मांग की।
इस पर सेन के लीगल काउंसल बचुभाई मुनीम एन्ड कम्पनी ने डगलस इन डाफट चैयरमैन सीसीआईएल USA व अलेक्स वोन बेहर प्रेजिडेंट एन्ड सीईओ कोका कोला इंडिया को नोटिस दिया कि एग्रीमेंट का टर्मिनेशन सुष्मिता सेन की ओर से नहीं है। आपकी कम्पनी में सेन के साथ ऐसा हुआ है। व यह कृत्य उस एम्प्लॉय ने आपकी कम्पनी की ड्यूटी करते हुए किया है। अतः एक्ट्रेस को आपकी कम्पनी सेफ वर्क प्लेस मुहैया कराने में असफल रही है। जिसके लिए आपकी कम्पनी रिस्पांसिबल है। 7 दिन में इसका निवारण करें वरना परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें।
इस नोटिस के जवाब में कम्पनी ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश से जांच कराई एवं सुष्मिता से जो कम्पनी कम्पनसेशन मांग रहे थी उसके उल्टे कम्पनसेशन देने का “सेटलमेंटअग्रीमेंट फ़ॉर कैंसलेशन/टर्मिनेशन ऑफ कॉन्ट्रक्ट” दिनांक 18.09.2003 को हुआ।
इस सेटलमेंट अग्रीमेंट के अनुसार सुष्मिता सेन को 145 लाख रुपये दिए गए। 50 लाख तो सेन की मूल फीस में से बकाया थे। तय फीस 150 लाख में से एक करोड़ ही मिले थे। 95 लाख रेपुटेशन के नुकसान थे।
सेन ने अपनी इनकम टैक्स की रिटर्न निर्धारण वर्ष 2004-05 की दिनांक 01.11.2004 को फ़ाइल की जिसमें इस 145 लाख रुपये में से सिर्फ 50 लाख रुपये पर टैक्स दिया। शेष 95 लाख रुपये को कैपिटल रिसिप्ट मानते हुए कर मुक्त माना।
निर्धारण अधिकारी ने 11.12.2006 को निर्धारण आदेश पारित किया एवं करदाता की आय में 95 लाख रुपये को कॉन्ट्रक्ट ब्रीच की रिसिप्ट मानते हुए टैक्स की डिमांड निकाल दी।
सेन ने कमिश्नर अपील के यहां अपील की। अपील में भी कोई रिलीफ नहीं मिली। सेन ट्रिब्यूनल गई। ट्रिब्यूनल ने केस वापिस कमिश्नर अपील्स के पास भेज दिया कुछ निर्देशों के साथ। फिर भी कमिश्नर अपील्स ने रिलीफ नहीं दी। सेन सेकंड राउंड में फिर ट्रिब्यूनल आई। तब रिलीफ मिली। आखिरकार ट्रिब्यूनल ने माना कि सेन को 95 लाख रुपये सेक्सुअल हरैसमेंट के कम्पनसेशन के मिले हैं न कि उसकी प्रोफेशनल रिसिप्ट है। अतः टैक्सेबल नहीं है।
सबसे पहले सेन के खिलाफ डिमांड 11.12.2006 को निकली। 12 साल बाद 14.11.2018 को रिलीफ मिली है।
सीए रघुवीर पूनिया, जयपुर। 9314507298