false एंट्री पर कितनी पेनल्टी लगेगी नए बजट में?
false एंट्री पर कितनी पेनल्टी लगेगी नए बजट में?
सिर्फ व्यापारी पर ही लगेगी या सहयोग करने वाले पर भी?
false एंट्री क्या है?
क्या सभी पर लगेगी या बुक्स मेंटेन करने वालों पर ही लगेगी?
इस बार इनकम टैक्स एक्ट में आई इस नई धारा पर मैं अपने विचार व्यक्त कर रहा हूँ। अगर किसी के इससे भिन्न विचार हों तो मैं उनका भी सम्मान व स्वागत है।
मेरा अक्सर यह मत रहता है कि हम क्लाइंट को कानूनी प्रावधान समझाने से बचें। बस उतनी ही राय दें जितनी क्लाइंट को कंप्लायंस के लिए जरूरत है।
लेकिन धारा 271AAD जो नई धारा जोड़ी है, जिसमें false एंट्री के बराबर पेनल्टी है। उसके बारे में क्लाइंट को समझाना व्यापक राष्ट्रीय हितहै, जनहित है, व्यापारी हित भी है क्योंकि जीएसटी के फर्जी बिलों में कितने लोग बन्द हैं। मुझे ऐसा लगता है कि यह मोदी जी के स्वच्छता मिशन का एक्सटेंशन है।
इसी कारोबार में जीएसटी फ़्रॉड के मामलों में कितने लोग जेल में हैं। हम देख रहे हैं इस आग की लपटें प्रोफेशनल तक भी आती हैं। जाने अनजाने में। कुछ मामलों में तो विभाग ने पाया है कि “हम साथ-साथ हैं!” हो सकता है फाइनल फैसले में बच जाएं। लेकिन पुलिस, ईडी, हिरासत, कोर्ट को अग्निपरीक्षा भी बड़ी पीड़ा है।
बोगस purchase bill, accomodation एंट्री, पेनी स्टॉक, शेयर प्रीमियम, कलकत्ता वाली कम्पनियां , कमीशन का लेन देन, VDIS-97 के जमाने के फर्जी जेवेल्लरी के sale बिल, ऐसी कितनी ही शब्दावली प्रचलन में है।
मैं समझता हूं हम हर क्लाइंट को चाहे उसने कभी ऐसा किया हो या ना किया हो उसको समझाएं कि जीएसटी में तो जेलों में जा ही रहे हैं। अब इनकम टैक्स में भी false एंट्री के बराबर पेनल्टी लगेगी एवं false एंट्री जिसकी बुक्स में है उसके साथ साथ उस व्यक्ति पर भी लगेगी जो false एंट्री में हेल्प कर रहा है, चाहे वो करदाता हो या न हो।
कुछ व्यापारी false एंट्री प्रॉफिट घटाने के लिए करते हैं। कुछ बढ़ाने के लिए प्रॉफिट भी लेते हैं।
बिना वास्तविक ट्रांजेक्शन हुए जो एंट्री है वो false एंट्री है।
इसके अलावा पुरानी पेनल्टी व प्रॉसिक्यूशन तो है ही। हमें हमारे क्लाइंट्स को समझाना इसलिए भी जरुरी है कि हमारी मानसिकता है कि सब चलता है। तो अब व्यापारी को यह मानसिकता बदलनी पड़ेगी की चलता है।
प्रोविजन से स्पष्ट है कि अभी तक ये बुक्स ऑफ एकाउंट मेंटेन करने वालों पर ही लगा है।
false एंट्री की डेफिनिशन, व पेनल्टी कहाँ-कहाँ लगेगी, कितनी स्ट्रिक्ट डेफिनिशन होगी। उस पर चर्चा बाद में करेंगे। यह पोस्ट तो सिर्फ क्लाइंट्स का attitude बदलने व धारा की गम्भीरता समझने के लिए है।