सैन्य अधिकारियों के मामलों में ज्यादा टेक्निकल जटिलताओं में न जाएं।कर्नल रि. मदन गोपाल सिंह नेगी बनाम आयकर आयुक्त
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केस:-
कर्नल रि. मदन गोपाल सिंह नेगी बनाम आयकर आयुक्त
आज से ठीक एक साल पहले 28 फरवरी 2019 के निर्णय
केस के तथ्य:-
1. कर्नल साहब ने 1976 में आर्मी जॉइन की।
2. 40 वर्षों तक सेना में सेवाएं दी
3. ऑपरेशन रक्षक व कारगिल युद्ध मे भाग लिया, कई युद्ध मेडल जीते ।
4. उनके साथ बेटल कैजुअल्टी हो गई। उनको 30 नवम्बर 2007 को 30% डिसेबल्ड पेंशन के साथ रिटायर कर दिया गया।
5. सीबीडीटी के सर्कुलर के अनुसार डिसेबिलिटी कॉम्पोनेन्ट टैक्स फ्री है।
6. कर्नल साहब 2008-09 से 2015-16 तक डिसेबिलिटी पोर्शन पर टीडीएस के रूप में या स्वयं चालान से टैक्स जमा कराते रहे।
7. एक दिन कर्नल साहब को पता लगा कि उसकी पेंशन का डिसेबिलिटी कॉम्पोनेन्ट तो टैक्स फ्री है।
8. उन्होंने 2017 में आयकर विभाग से रिफण्ड मांगा जो 2008-09 से लेकर 2015-16 तक की अवधि का था। कुल रिफण्ड की राशि 11 लाख 16 हजार 643 थी।
9. कर्नल साहब ने एक साल तक आयकर विभाग के चक्कर काटे।
10 अंत में निराश होकर मध्यप्रदेश हाइकोर्ट में रिट लगाई।
11. जवाब में आयकर विभाग ने आशा के अनुरूप रिफण्ड न देने के कई तकनीकी कारण गिनाए।
न्यायालय की टिप्पणी:-
1. उस आर्मी ऑफिसर का उत्पीड़न किया जा रहा है जिसने देश के लिए पूरा जीवन न्यौछावर कर दिया जिसके द्वारा की गई रक्षा में “टैक्स बाबुओं” की रक्षा भी शामिल है।
2.आयकर के अधिकारी व हम तभी चैन की नींद सो पाते हैं जब ये लोग हमारी सीमाओं की चौकसी करते हैं।
3. न्यायालय ने कहा कि सेना के अधिकारी को pillar to post भटकने के लिए नहीं छोड़ सकते।
4. सैन्य अधिकारियों के मामलों में ज्यादा टेक्निकल जटिलताओं में न जाएं।
आदेश:-
1. आर्डर सर्विस होने की तारीख से 30 दिन के भीतर रिफण्ड दिया जाए।
2. टैक्स जमा होने की तारीख से रिफण्ड की तारीख तक 12% ब्याज
3. अगर 30 दिन में रिफण्ड नहीं दिया तो ब्याज 18%
4. साथ मे एफिडेविट फ़ाइल करने वाले कमिश्नर साहब व चीफ कमिश्नर साहब दोनों के खिलाफ ” suo moto” कंटेम्प्ट of कोर्ट की कार्यवाही होगी।