GST on ट्रस्ट “AtoZ”-पार्ट-2
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GST on ट्रस्ट “AtoZ”-पार्ट-2
पार्ट 1, के डिस्कशन में हमने जाना की ट्रस्ट की एक्टिविटी जीएसटी एक्ट के अनुसार बिज़नेस में कवर होती हैं एवं अगर ट्रस्ट exclusively exempted या नॉन टैक्सेबल सर्विसेज या गुड्स सप्लाई करता है तो ठीक है, वरना अगर टैक्सेबल सप्लाई नाम मात्र की भी करता है, तो ट्रस्ट को रजिस्ट्रेशन कराना होगा। धारा 22 के अनुसार, अगर वार्षिक एग्रीगेट टर्नओवर 20 लाख से ज्यादा है सर्विसेज का। अधिकांश ट्रस्ट सर्विसेज ही सप्लाई करते हैं। अगर ट्रस्ट सिर्फ गुड्स की ही सप्लाई करता है तो रजिस्ट्रेशन की लिमिट 40 लाख रुपये सालाना है।
अगर कोई ट्रस्ट ऐसा है जो inter स्टेट सर्विसेज की सप्लाई करता है एवं व सर्विस exempt नहीं है तो धारा 24 के अनुसार जीएसटी में कम्पलसरी रजिस्ट्रेशन कराना होगा चाहे टैक्सेबल सप्लाई का quantum कुछ भी हो।
इस तरह से अगर कोई ट्रस्ट या NGO, CGST एक्ट की धारा 22 या 24 में रजिस्टर्ड है या रजिस्ट्रेशन के लिए liable है, तो वह जीएसटी में टैक्सेबल पर्सन माना जाएगा। अब देखते हैं जीएसटी एक्ट में जो पर्सन शब्द है, क्या ट्रस्ट/NGO उसमें कवर होता है ? तो पर्सन शब्द की डेफिनिशन सेक्शन 2(84) में दी है। यह डेफिनिशन भी inclusive डेफिनिशन है:-
Section 2(84): “person” includes-
(a) an individual;
(b) a Hindu Undivided Family;
(c) a company;
(d) a firm;
(e) a Limited Liability Partnership;
(f) an association of persons or a body of individuals, whether incorporated or not, in India or outside India;
(g) any corporation established by or under any Central Act, State Act or Provincial Act or a Government company as defined in clause (45) of section 2 of the Companies Act, 2013;
(h) any body corporate incorporated by or under the laws of a country outside India;
(i) a co-operative society registered under any law relating to co-operative societies;
(j) a local authority;
(k) Central Government or a State Government; (l) society as defined under the Societies Registration Act, 1860;
(m) trust; and
(n) every artificial juridical person, not falling within any of the above.
इस तरह हम देखते हैं कि पर्सन शब्द की डेफिनिशन के क्लॉज़ “l” में सोसाइटी कवर है एवं क्लॉज़ “m” में ट्रस्ट भी कवर है।
हमने पार्ट 1, में, सप्लाई ऑफ गुड्स or सर्विसेज,की बात की है, तो जानते हैं, जीएसटी में यह सप्लाई क्या है व ट्रस्ट/NGO भी सप्लाई करते हैं क्या?
जैसे जीएसटी एक्ट में बिज़नेस की डेफिनिशन inclusive दी गई है उसी तरह जीएसटी एक्ट की धारा 7(1)(a) में सप्लाई की डेफिनिशन भी inclusive दी है अर्थात wide डेफिनिशन है:-
Sec-7(1) For the purpose of this act supply includes: –
(a). all forms of supply of goods or services or both such as sale, transfer, barter, exchange, license, rental, lease or disposal made or agreed to be made for a consideration by a person in course of furtherance of business,
इस डेफिनिशन में सभी तरह की सप्लाई शामिल है चाहे गुड्स की सप्लाई हो या सर्विस की सप्लाई हो या दोनों की सप्लाई हो। जैसे उदाहरण के तौर पर 8 तरीके बताए हैं:- sale, transfer, barter, exchange, license, rental, lease or disposal made or agreed to be made for, इनके अलावा भी कोई और भी फॉर्म हो सकती है। लेकिन जीएसटी एक्ट में सप्लाई होने के लिए दो कंडीशन और हैं, एक तो consideration के बदले होनी चाहिए व furtherance of business, के लिए होनी चाहिए। तभी इस एक्ट के लिए सप्लाई मानी जाएगी।
ट्रस्ट की एक्टिविटी बिज़नेस में कवर होगी या नहीं यह हम कल के पार्ट-1 में डिस्कस कर चुके हैं। अब सप्लाई की डेफिनिशन से एक बात सामने आती है कि अगर “without consideration” कोई गुड्स या सप्लाई की जाएगी तो जीएसटी के लिए सप्लाई नहीं मानी जाएगी।
जीएसटी एक्ट में गुड्स व सर्विसेज की डेफिनिशन भी बड़ी व्यापक दी है। गुड्स की डेफिनिशन में, immovable प्रॉपर्टी, money व सिक्योरिटी को छोड़कर सब कवर कर लिया। सर्विसेज की डेफिनिशन में immovable प्रॉपर्टी, गुड्स, money व सिक्योरिटी को छोड़कर सब कवर कर लिया, लेकिन immovable प्रॉपर्टी, मनी, सिक्योरिटी से रिलेटेड सारी सर्विसेज कवर की हैं जैसे ब्याज, किराया कमीशन आदि।
Definition of Goods – Section 2(52) of the GST Act
“Goods’’ means every kind of movable property other than money and securities but includes actionable claims, growing crops, grass, and things attached to or forming part of the land which are agreed to be severed before supply or under a contract of supply.
Definition of Service – Section 2(102) of the GST Act
“Services’’: means anything other than goods, money, and securities but includes activities relating to the use of money or its conversion by cash or by any other mode, from one form, currency or denomination, to another form, currency or denomination for which a separate consideration is charged;
Explanation 1 Services include transactions in money but do not include money and securities. Meaning thereby that if the transaction is done without any separate charge /consideration no service ;
Explanation 2 But transaction in money relating to the use of money or its conversion by cash or by any other mode, from one form, currency or denomination, to another form, currency or denomination for which a separate consideration is charged then it is service.
गुड्स व सर्विस की डेफिनिशन जानने के बाद हमें अब consideration की डेफिनिशन पढ़नी पड़ेगी जो सेक्शन 2(31) में दी गई है:-
CONSIDERATION 2(31) of CGST ACT, 2017
Consideration in relation to the supply of goods or services includes-
(a) any payment made or to be made, whether in money or otherwise, in respect of, in response to, or for the inducement of, the supply of goods or services, whether by the recipient or by any other person but shall not include any subsidy given by the Central Government or a State Government;
(b) the monetary value of any act or forbearance, whether or not voluntary, in respect of, in response to, or for the inducement of, the supply of goods or services, whether by the recipient or by any other person but shall not include any subsidy given by the Central Government or a State Government:
PROVIDED that a deposit, given in respect of the supply of goods or services or both shall not be considered as payment made for such supply unless the supplier applies the deposit as consideration for the said supply;
इस consideration की डेफिनिशन को जब ट्रस्ट/NGO के संदर्भ में देखते हैं तो जब ट्रस्ट/ कोई भी गुड्स या सर्विस किसी को भी प्रोवाइड करता है अपनी core एक्टिविटी के रूप में या इंसिडेंटल एक्टिविटी के रूप में, एवं बदले में consideration नकद या काइंड में, वर्तमान में या past में या फ्यूचर में, रेसिपीएन्ट से या किसी थर्ड पर्सन से, तो जीएसटी एक्ट के तहत धारा 7 में, यह सप्लाई है। टैक्सेबल है, बशर्ते कि स्पष्टतः जीएसटी मुक्त न किया हो।
जब consideration लेता हो तो कन्फर्म है कि ट्रस्ट द्वारा दी जाने वाली गुड्स या सर्विसेज जीएसटी एक्ट की धारा 7 में सप्लाई हैं।टैक्सेबल है, बशर्ते कि स्पष्टतः जीएसटी मुक्त न किया हो।
जब गुड्स या सर्विसेज के बदले कोई consideration, सर्विस या गुड्स के रेसिपीएन्ट से नहीं लेते हैं तो देखना पड़ेगा कि कोई past या फ्यूचर कंसीडेराशन तो नहीं। अगर वो भी नहीं है तो देखना पड़ेगा कि कहीं कोई थर्ड पर्सन तो consideration नहीं दे रहा है।
पार्ट 1 व इस पार्ट में हमने ट्रस्ट/NGO/NPO पर जीएसटी एक्ट लागू होगा या नहीं इसकी टेस्टिंग के लिए पर्सन, रजिस्टर्ड पर्सन, किसके लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य, किसके लिए रजिस्ट्रेशन से छूट, बिज़नेस क्या है?, सप्लाई क्या है? consideration क्या है? इनके बारे में जाना।
जब इन प्रावधनों को ट्रस्ट/ सोसाइटी/ NGO/NPO के कार्यकलापों के साथ जोड़कर देखते हैं तो हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि लॉ मेकर्स का intension मैक्सिमम एक्टिविटी/ ट्रांसेक्शन को जीएसटी के दायरे में लाने का है चाहे प्रॉफिट motive हो या न हो।
जीएसटी से बाहर निकलने का, दूसरा रास्ता ट्रस्ट/ सोसाइटी/ NGO/NPO के पास अपने द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं/गुड्स के बदले में प्रतिफल न लेने का बचता है । consideration नहीं होगा तो वह एक्टिविटी “सप्लाई” की डेफिनिशन से ही बाहर हो जाएगी।
फिर हमें रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता के लिए बिना प्रतिफल वाली गुड्स/ सर्विसेज की सप्लाई को हटाने के बाद शेष बची गुड्स/ सर्विसेज की सप्लाई में कुछ भी कॉम्पोनेन्ट taxable है तो टैक्सेबल+exempted दोनों कॉम्पोनेन्ट को जोड़कर सर्विसेज के मामले में 20 लाख रुपये व सिर्फ गुड्स की सप्लाई है तो 40 लाख रुपये की वार्षिक लिमिट क्रोस होती है तो अनिवार्य रजिस्ट्रेशन होगा। या दूसरे स्टेट में टैक्सेबल सर्विसेज की सप्लाई हो रही होगी तो अनिवार्य रजिस्ट्रेशन होगा।
आगे के पार्ट में हम देखेंगे कि, ट्रस्ट/ सोसाइटी/ NGO/NPO के केस में समाज को दी जाने वाली वस्तुओं व सेवाओं का प्रतिफल जीएसटी लॉ के अनुसार कैसे माना जाएगा। कौन-कौन सी सर्विसेज पर टैक्स लगेगा व कैसे?