आत्म निर्भर भारत
इन्होंने बोला तो अच्छा है,बातें सभी सच है।निराकरण का जिक्र ये करना भूल गए।जो कि निम्न है
सरकारी ढांचा फिर से बनाया जाए जिसमें मजदूरों को व सभी वर्गों को जोड़ने के लिए कार्य संभव हों जो कि गाँव, जिला,शहर,प्रदेश व देश स्तर के हों।इस तरह की भुखमरी पहले राजाओं के शासन में भी होती थी तब राजा अपना महल बनवाकर,बड़े आयोजन खुद रखते थे, सभी को मजदूरी पर रखकर करीब 100 साल तक बनवाते रहते थे।इसका सीधा संबंध पैसा हर घर तक कैसे पहुंचे वह था।
बस वही अब सरकार को करना होगा।नए सिरे से पूरे भारत में मॉडल तैयार करके हर वर्ग के लिए संस्थान व जरूरी सामान मुहैया करवाने पड़ेंगे जो कि विश्वस्तरीय हो।सामान से अभिप्राय रिसोर्सेज से है जो किसी भी कार्य को दक्षता से करने के लिए देना ही होता है(व्यापारी के लिए कंप्यूटर,किसान के लिए ट्रैक्टर ,नाई के लिए उस्तरा व अन्य।
1-एक मॉडल व भवन तैयार करना होगा आबादी अनुसार जो तीन अतिआवश्यक सर्विसेज के लिए होगा-
१-पढ़ाई-शिक्षण संस्थान बनवाना होगा हर गाँव में जो नर्सरी,प्राइमरी,हाई सेकेंडरी व हाई स्कूल व कॉमर्स,आर्ट व साइंस हेतु अलग भवन।इसमे पढ़ने व पढाने उसी गाँव व जिले के शिक्षक लगें।इस तरह से ऑनलाइन क्लासेज से विश्वस्तरीय शिक्षक अपने गाओं तक पढ़ा सकेंगे।प्रणाली पूरी सुविधाओं से युक्त होगी जो 100 साल आगे की टेक्नोलॉजी अगर जापान में मौजूद हो वह हर जगह अब हो।
2-मेडिकल या हॉस्पिटल
3-पुलिस व प्रशासन।
A-हर जगह गाँव से लेकर शहर तक भारतीय मानसिकता जो कई सालों से बनी है जातियों में बटी है।क्यों न व्यापारी वर्ग,नाई, कसाई, हलवाई,दर्जी,सुनार,लौहार व अन्य सभी को इसी तर्ज पर एक भवन तैयार करके गाओं से लेकर शहर तक बनाकर दिया जाए जिसमे सभी सुखसुविधाएँ फर्नीचर कंप्यूटर समेत मौजूद हो। ऐसा करने से होगा यूँ की आज तक इन सभी वर्गों से आप टैक्स नहीं वसूल पाए जब सुविधाएं दी जाएगी तो टैक्स भी मिलेगा।यदि मोटी बुद्धि से भी देखें तो 10%टैक्स मात्र लगाने से लागत 2 साल में निकल जाएगी व अगले 100 साल तक सरकारी खजाने भरते जाएंगे जो एक समृद्ध राष्ट्र के लिए काफी हैं।
उपरोक्त सुविधाएं ग्रामीण में शुरू करने की सबसे पहले ज़रूरत इसलिए भी है क्योंकि जो समृद्ध किसान आपको एक रुपये भी टैक्स के नहीं दे रहा और न चाहता है दे वह अपना योगदान गाँव की खुशहाली के लिए इन सुविधाओं की आड़ में हंसी खुशी देना चाहेगा।
कईं बातें अभी बाकी है…..फिर कभी।