ट्रस्ट: कम्पलीट कंप्लायंस” पार्ट 9
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ट्रस्ट: कम्पलीट कंप्लायंस” पार्ट 9
फंडिंग कैसे लें?
आधुनिक काल में।
तकनीक की वजह से हम जितने नजदीक आए हैं, भौतिक रूप से हम उतने ही दूर हो गए हैं। मेरे पड़ौस में क्या घटना घटी उसकी सूचना मुझे अब सोसल मीडिया, या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से ही मिलती है।
इसलिए अब यही थ्योरी NGO की फंडिंग पर लगती है:-
1.सबसे पहला काम संस्था का गठन करें ( सोसाइटी/ कम्पनी/ ट्रस्ट) कौनसी संस्था किसके लिए उपयोगी होगी इसकी चर्चा नेक्स्ट एपिसोड में करेंगे।
2. संस्था का गठन होने के बाद पैन लें, बैंक खाता खोलें, इनकम टैक्स में रजिस्ट्रेशन के लिए लगाएं। धारा 80जी मे भी रजिस्ट्रेशन लें, ताकि डोनर को इनकम टैक्स में छूट भी मिले। साथ में 80जी का प्रमाण पत्र होने से संस्था की क्रेडिबिलिटी भी दिखती है।अगर संस्था की एक्टिविटी के लिए किसी सरकारी विभाग से कोई मान्यता या रजिस्ट्रेशन लेना हो तो उसके लिए अप्लाई करें। जैसे स्कूल खोलने के लिए शिक्षा विभाग से मान्यता।
3. उसके बाद नीति आयोग की वेबसाइट पर जाकर अपनी संस्था को NGO दर्पण पर रजिस्टर्ड कराएं। NGO दर्पण की वेबसाइट के कुछ अंश जिसमें महत्वपूर्ण जानकारी है:-
NGO-DARPAN is a platform that provides space for interface between Non-Government organizations (NGOs)/ Voluntary Organizations (VOs) in the country and key Government Ministries / Departments / Government Bodies.
It started out as an initiative of the Prime Minister’s Office, to create and promote a healthy partnership between NGOs/VOs and the Government of India. Now it is an e-governance application offered by NITI Aayog to electronically maintain data and transparency regarding NGOs/VOs in the country.
In order to transact business with line Ministries/ Departments, an NGO has to first sign-up on the NGO-DARPAN portal to obtain a Unique Identity Number (UIN) by furnishing the required details like registration number of the organization, PAN of the organization, PAN and Aadhar details of the office bearers/trustees, etc.
Ministries/Departments implementing schemes through the NGOs are also required to develop their own portals and integrate the same with the NGO-Darpan to facilitate seamless flow of information regarding the fund flow, projects implemented, etc. about the NGOs. The Ministries/Departments can also verify the antecedents of the NGOs through this integrated system before considering any application from NGOs for grants.
Before December 2016, the portal had about 85000 NGOs in its database. However, after mandating PAN and Aadhaar details of office bearers, there has been a reduction in the number of NGOs in the portal. Till 7th December 2017, a total of 24035 NGOs have signed up on NGO Darpan Portal.
18 Ministries/ Departments have developed and integrated their portals with NGO-Darpan. Five Ministries are in the process of developing their portals.
The MIS report generated from NGO-Darpan suggests that as on 7 December 2017, up to 10 ministries/departments have released grants of Rs. 267 crore to 356 NGOs under 42 Schemes.
NGO Darpan has been successfully integrated with the Public Financial Management System (PFMS). As per the PFMS window a total amount of Rs. 1895 crore has been released to 1029 NGOs under 221 schemes of 34 ministries/departments during 2017-18 (as on 7 December 2017).
4. उसके बाद एक NGO की अच्छी सी वेबसाइट बनाएं। जिस पर NGO की पूरी जानकारी वेबसाइट पर डालें। पूर्ण पारदर्शिता के साथ।
5. उसके बाद स्वयं मेहनत करके या स्वयं के फंड्स से या आप अपने व्यक्तिगत सम्बन्धों से छोटा छोटा फण्ड इकठ्ठा करें एवं एक्टिविटी स्टार्ट करें। कोई भी एक्टिविटी करें, उसमें होने वाले खर्चे के बिल, वाउचर रखें। एक्टिविटी के एविडेंस रखें। फोटोग्राफ रखें। एक्टिविटी रिपोर्ट तैयार करें। exact क्या एक्टिविटी की उसकी डिटेल रखें। जैसे फ्री मेडिकल कैम्प लगाया। कितने डॉक्टर थे। कौन कौन डॉक्टर थे। कितने लोगों का मेडिकल चेक अप किया। उनकी लिस्ट। अगर कोई जांच हो तो वेरीफाई हो जाए। इन सब एक्टिविटी को वेबसाइट पर अपलोड करें।
6. एक अकाउंटेंट रखें। प्रॉपर एकाउंट्स मेंटेन रखें। ऑडिट कराएं। इनकम टैक्स की रिटर्न फ़ाइल करें। एक टैक्स कंसलटेंट या चार्टर्ड अकाउंटेंट भी एंगेज करें। एक एक्टिविटी की वार्षिक रिपोर्ट भी तैयार करें।
7. कोई भी फंडिंग करेगा, वह आपका ट्रैक रिकॉर्ड देखेगा। चाहे गवर्नमेंट फंडिंग करे। चाहे कोई फंडिंग एजेंसी हो। चाहे सीएसआर के तहत कोई कॉरपोरेट करे, चाहे फॉरेन फंडिंग हो। चाहे क्राउड फंडिंग हो। इसके लिए आपको इनकम टैक्स की रिटर्न, नीति आयोग की NGO दर्पण, एनुअल रिपोर्ट, फाइनेंसियल एकाउंट्स।
8.अपनी संस्था के उद्देश्यों एवम पास्ट में कई गई एक्टिविटी के अनुसार किसी गवर्नमेंट विभाग या फंडिंग एजेंसी को चुनें। कई बार सरकार की फ्लैगशिप योजना में बजट अधिक होता है जैसे अभी कोविड-19 से फाइट के लिए होगा। थोड़े समय पहले स्किल इंडिया व स्वच्छ भारत मिशन के लिए था। एक समय एड्स अवेयरनेस प्राथमिकता पर था। एक समय सर्व शिक्षा अभियान था। इसके लिए आपको सरकारों के बजट, प्राथमिकताएं व तात्कालिक परिस्थितियों को मद्देनजर सेक्टर का चुनाव करना होगा। लगभग सभी गवर्नमेंट डिपार्टमेंट (केंद्र सरकार व राज्य सरकार दोनों के) NGO के माध्यम से कई योजनाओं का इम्प्लीमेंटेशन कराते हैं जैसे मेडिकल, लेबर वेलफेयर, शिक्षा, स्किल डेवलपमेंट, सिक्योरिटी गार्ड की सेवाएं( एक्स आर्मी वेलफेयर संस्थाओं के माध्य्म से) आदि। सम्बन्धित सरकारी विभाग की वेबसाइट पर देखा जा सकता है।
9. इसी तरह से कुछ स्वैच्छिक संस्थाएं जैसे प्लान इंटरनेशनल, UNICEF, सेव द चिल्ड्रन, एक्शन ऐड, CRY, CUTS, आगा खान फाउंडेशन, गुड अर्थ फाउंडेशन, सर रतन टाटा ट्रस्ट, MSDF, बिल एंड milenda फाउंडेशन, EU, इस तरह की बहुत सारी इंडियन व अंर्तराष्ट्रीय संस्थाएं हैं हो NGO को फंडिंग करती हैं, इन्हें फंडिंग एजेंसी ही बोलते हैं। उनसे संपर्क किया जा सकता है।
10. सरकार ने कम्पनीज एक्ट में प्रावधान डालकर यह कम्पलसरी कर दिया है कि अपने प्रॉफिट की एक सर्टेन अमाउंट CSR के अंतर्गत खर्च करनी अनिवार्य है। जो पालन नहीं करेगा तो यह क्रिमिनल offense है। यह एक्टिविटी बैंक्स सरकारी व प्राइवेट, ONGC, NTPC, PTC, PFC, BHEL, SAIL आदि सभी PSU के लिए भी जरूरी। इसके साथ साथ NSE, Reliance, Hero Honda, ICICI, HDFC, हिंदुस्तान जिंक आदि सभी करते हैं।
इनमें से कुछ कॉरपोरेट्स ने अपने खुद के भी NGO बना रखे हैं। लेकिन उसके बावजूद भी जिन NGO का ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा है उनको खूब फंडिंग मिलती है।
11. स्पॉन्सरशिप:-
स्पॉन्सरशिप में अगर आप कोई आ एक्टिविटी करते हैं तो कोई कॉरपोरेट आपको फंडिंग तो करता है लेकिन साथ में अपने ब्रांड को भी प्रोमोट करता है। जैसे एक स्पोर्ट्स टूर्नामेंट की स्पॉन्सरशिप कोई सपोर्ट्स शूज बनाने वाली कम्पनी करती है तो बदले में कहती है सभी खिलाड़ियों को उस कम्पनी के जूते पहनने होंगे। साथ में दर्शक दीर्घा में एक कैनोपी पर उस कम्पनी के स्पोर्ट्स शूज डिस्प्ले होंगे। इसी तरह हेल्थ, फार्मा आदि कम्पनियां डॉक्टर्स के इवेंट स्पॉन्सर करती हैं।
12 क्राउड फंडिंग:-
जब mass फंडिंग कलेक्ट करनी हो। छोटी छोटी amounts के रूप में। तो ऊनी वेबसाइट पर डोनेशन की रिक्वेस्ट व पेमेंट ऑप्शन डाल देते हैं। आजकल का युथ, जो संस्था के उद्देश्य व एक्टिविटी से संतुष्ट होते हैं तो ऑनलाइन डोनेट करते हैं।
13. सर्विस चार्जेज, sale ऑफ मटेरियल:-
अगर कोई संस्था अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए फीस, सर्विस चार्जेज, या मटेरियल की बिक्री भी कर सकता है। बशर्ते कि वह एक्टिविटी संस्था के उद्देश्यों के लिए जरूरी हो या सहायक हो जैसे सीए इंस्टिट्यूट का कोचिंग चलाना, पार्किंग के ठेके से आय, दुकान किराया, गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा पुस्तकें बेचना, गौशाला द्वारा डेयरी प्रोडक्ट बेचा जाना, हॉस्पिटल व स्कूल की फीस, हॉस्पिटल द्वारा कॉटेज चार्जेज, शैक्षणिक संस्था द्वारा होस्टल फीस आदि।
14. सदस्यता शुल्क:-
क्लब, ट्रेड एसोसिएशन, यूनियन आदि जो अपने सदस्यों को सेवाएं देती हैं वे सदस्यों से मेम्बरशिप व एक्टिविटी रेजिस्ट्रेशन फीस लेती हैं। जैसे लायंस क्लब लीडरशिप डेवलपमेंट प्रोग्राम की फीस लेती है। कल्चरल क्लब्स, Jai क्लब, जयपुर क्लब, प्रेस क्लब, गोल्फ क्लब, स्पोर्ट्स क्लब, माउंटेनियरिंग क्लब्स, एडवेंचर क्लब, हाउसिंग व कमर्शियल प्रॉपर्टी मेंटिनेंस सोसाइटी आदि।