अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में भारत के आयकर विभाग को झटका
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में भारत के आयकर विभाग को झटका
20 हजार करोड़ (3.79 बिलियन डॉलर) की डिमांड समाप्त
आयकर विभाग व भारत सरकार के निर्णय को बताया “breach of fair and equitable treatment.
25 सितंबर 2020 को, 13 साल से लम्बित केस ब्रिटिश टेलीकॉम कम्पनी “वोडाफोन इंटरनेशनल होल्डिंग” केस जीत गई. जिससे वोडाफोन के खिलाफ आयकर विभाग द्वारा निकाली गई 20 हजार करोड़ रुपये की डिमांड भी समाप्त हो गई। जिसके लिए स्वर्गीय प्रणब मुखर्जी के वित्त मंत्री के समय आयकर कानून में भी संशोधन किया गया था।
भारत के सुप्रीम कोर्ट में वोडाफोन जो केस जीत चुका था उसके बावजूद, भारत सरकार ने रेट्रोस्पेक्टिवली आयकर कानून में संशोधन करके वोडाफोन व हच-एस्सार के मर्जर की डील पर भारत में कैपिटल गेन टैक्स देय मानते हुए, टीडीएस की 20 हजार करोड़ रुपये की डिमांड निकाल दी थी।
वोडाफोन भारत सरकार व आयकर विभाग के इस निर्णय के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय हेग में आर्बिट्रेशन के लिए गया। 25 सितंबर 2020 को परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन का निर्णय वोडाफोन के पक्ष में आ गया और उन्होंने भारत के आयकर विभाग के निर्णय को भारत व नीदरलैंड के बीच हुई इन्वेस्टमेंट ट्रीटी के अंतर्गत “फेयर एंड इक्विटेबल ट्रीटमेंट” का उल्लंघन माना।
Chronolgy
●मई 2007 में वोडाफोन ने हच-एस्सार को खरीदा।
●अक्टूबर 2007 में आयकर विभाग ने वोडाफोन इंटरनेशनल को टीडीएस डिफ़ॉल्ट का 20 हजार करोड़ का डिमांड नोटिस जारी किया।
●वोडाफोन डिमांड नोटिस के खिलाफ मुंबई हाईकोर्ट गया लेकिन मुंबई हाई कोर्ट ने वोडाफोन की रिट खारिज कर दी।
●वोडाफोन मुंबई हाई कोर्ट के निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गया। 2012 में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय वोडाफोन के पक्ष में आ गया।
●लेकिन भारत सरकार ने रेट्रोस्पेक्टिव इफेक्ट से कानून में संशोधन करके सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को nullify कर दिया।
●जिसके विरुद्ध वोडाफोन अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में गया जहां, 25 सितम्बर को वोडाफोन को रिलीफ मिल गई।