GST on ट्रस्ट “AtoZ”-पार्ट-3
GST on ट्रस्ट “AtoZ”-पार्ट-3
कई प्रोफेशनल की क्वेरी आने पर, पिछले पार्ट 2 के पैरा 2 को और डिटेल्ड कर दिया है। जिसे फेसबुक पर अपडेट कर दिया है। पिछले दो पार्ट के बाद यह क्लियर हो गया कि ट्रस्ट/ सोसाइटी/ NGO/NPO जीएसटी लॉ में एक टैक्सेबल पर्सन है।
जीएसटी लॉ में chargeability के लिए सबसे पहली कंडीशन है गुड्स/ सर्विसेज की सप्लाई होनी चाहिए। सप्लाई होने के लिए दो मुख्य शर्त हैं एक तो “in course of furtherance of business” जिसके बारे में डिटेल में डिस्कस हो गया कि जीएसटी लॉ के अनुसार ट्रस्ट की एक्टिविटी बिज़नेस है।
दूसरी महत्वपूर्ण शर्त है प्रतिफल। अगर प्रतिफल नहीं तो सप्लाई नहीं। सप्लाई नहीं, तो ट्रांसेक्शन जीएसटी से बाहर।
प्रतिफल नहीं होने के बावजूद भी जीएसटी लॉ में, जीएसटी के लिए सप्लाई मानने के जो अपवाद बताए गए हैं उनका सार यह है कि रिलेटेड पर्सन को बिना प्रतिफल के सेवाएं या गुड्स दिया है तो जीएसटी के लिए सप्लाई मानी जाएगी। ऐसे ट्रांजेक्शन ट्रस्ट/ सोसाइटी/ NGO/NPO द्वारा बहुत कम किए जाते हैं। लेकिन फिर भी रिलेटेड पर्सन को गुड्स या सर्विस की सप्लाई बिना प्रतिफल के की जाती है, तो जीएसटी के लिए सप्लाई मानी जाएगी और टैक्सेबल होगी।
अब आते हैं हम, ट्रस्ट/ सोसाइटी/ NGO/NPO द्वारा किए जाने वाले core ट्रांजेक्शन पर। इस डिस्कशन से स्पष्ट है कि ट्रस्ट जो सर्विसेज या गुड्स बिना प्रतिफल के समाज/ लाभार्थी को देता है वह जीएसटी के दायरे से बाहर है।
सरकार ने एक NGO से सम्पर्क किया कि 1 लाख प्रवासी मजदूर कोरोना लोकडाउन में फंस गए हैं। आपको उनके लिए 7 दिन तक भोजन की वयवस्था करनी है। NGO ने अपना बजट बताया कि एक मजदूर की एक दिन की खाने की लागत 100 रुपये आएगी। कुल बजट 1लाख मजदूर×7दिन×100 रुपये प्रतिदिन=7 करोड़ हो गया। NGO को सरकार ने 7 करोड़ रुपए एडवांस दे दिए। NGO ने डिफरेंट लोकेशन्स पर फंसे हुए मजदूरों को 7 दिन तक रोजाना 1 लाख फ़ूड पैकेट्स डिलीवर किए। एक डिटेल्ड रिपोर्ट दी कि फ़ूड पैकेट कहाँ- कहाँ बांटे गए। यहाँ फ़ूड की सप्लाई मजदूर अर्थात पब्लिक को की है। भुगतान सरकार ने किया है। क्या इस सप्लाई में सरकार द्वारा किया गया भुगतान जीएसटी एक्ट की सेक्शन 7(1)(a) के लिए प्रतिफल है? और यह सप्लाई जीएसटी के दायरे में आती है?
आजकल ट्रस्ट/ सोसाइटी/ NGO/NPO को लोग ओपन डोनेशन की बजाय स्पेसिफिक डायरेक्शन के साथ / डिटेल्ड बजट के साथ ग्रांट-इन-ऐड देते हैं। साथ- साथ मे फण्ड देने वाली एजेंसी, NGO द्वारा पब्लिक को दी जाने वाली सर्विस की मॉनिटरिंग भी करता है। क्या ऐसे में NGO द्वारा पब्लिक/ समाज को दी जाने वाली सर्विस प्रतिफल के बदले मानी जाएगी। क्योंकि उस काम के लिए NGO को cash/ kind में भुगतान थर्ड पर्सन से हो रहा है जो कभी कभी सरकार से भी हो सकता है। जैसा कि हमने उदाहरण में लिया है। समन्धित भुगतान, NGO द्वारा परफॉर्म की गई सर्विस से डायरेक्टली कनेक्टेड है।
NGO द्वारा परफॉर्म की जाने वाली बहुत सी ऐसी एक्टिविटी हैं जिनमें अप्परेंटली प्रतिफल नहीं होता। लेकिन इंडिरेक्टली प्रतिफल है। इसके लिए जीएसटी डिपार्टमेंट से ओपिनियन ली जा सकती है। जिसके लिए हर राज्य में एक एडवांस रूलिंग अथॉरिटी बनी हुई है।
इस प्रश्न का जवाब ढूंढने में हमें मदद मिली ऑथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलस, राजस्थान की जनवरी 2019 की एक रूलिंग से, जो ऑथॉरिटी ने अक्षय पात्र फाउंडेशन की एप्लीकेशन पर दी है। जिसका साइटेशन है [2020] 32 GSTL 407 (AAR – RAJ) , जिसमें अक्षय पात्र फॉउंडेशन द्वारा सरकारी स्कूलों में सप्लाई किए जाने वाले मिड- डे मील के लिए सरकार द्वारा किया गया आंशिक खर्चों का reimbursement भी टैक्सेबल सप्लाई माना है, अर्थात जीएसटी लगेगा। हालांकि CGST एक्ट की धारा 103 के अनुसार, एडवांस रूलिंग सिर्फ उसी पर्सन के लिए बाइंडिंग है जिसने एडवांस रूलिंग के लिए अप्लाई किया है।
अब आते हैं हम उन ट्रांजेक्शन्स पर जो NGO द्वारा परफॉर्म किए जाते हैं और बदले में प्रतिफल लिया जाता है। इसलिए वे CGST एक्ट की सेक्शन 7(1)(a) के purview में आते हैं।
सप्लाई तय होने के बाद देखते हैं कि अमुक सप्लाई पर जीएसटी लगेगा या नहीं। इसके लिए जीएसटी की levy की सेक्शन पर आते हैं जो क्या कहती है:-
Section 9 of GST – Levy and collection
Sec 9(1) of CGST Act: Subject to the provisions of sub-section (2), there shall be levied a tax called the central goods and services tax on all Intra-State supplies of goods or services or both, except on the supply of alcoholic liquor for human consumption, on the value determined under section 15 and at such rates, not exceeding twenty per cent., as may be notified by the Government on the recommendations of the Council and collected in such manner as may be prescribed and shall be paid by the taxable person.
(2) The central tax on the supply of petroleum crude, high speed diesel, motor spirit (commonly known as petrol), natural gas and aviation turbine fuel shall be levied with effect from such date as may be notified by the Government on the recommendations of the Council.
धारा 9(1) व 9(2) के माध्यम से NGO द्वारा सप्लाई की जाने वाली सेवाओं या गुड्स की वैल्यू ( शराब व पेट्रोलियम को छोड़ते हुए) पर टैक्स लगेगा। टैक्स की रेट नोटिफिकेशन के माध्यम से तय होगी जो अधिकतम 40% हो सकती है। अगर सप्लाई inter स्टेट है अर्थात दूसरे राज्य में है तो टैक्स चार्ज IGST की धारा 5 में होगा लेकिन टैक्स की रेट same रहेंगी।
Section 9(1) के माध्य्म से जो टैक्स लगता है इसे forward charge, कहते हैं जिसकी notified रेट्स के स्लैब इस प्रकार हैं:-
0%,
0.25%,
3%,
5%,
12%,
18%,
28%.
Maximum rate of 40%
किस गुड्स व किस सर्विस पर क्या रेट लगेगी, उसके लिए रेट नोटिफिकेशन देखना पड़ेगा।
इसके अलावा ट्रस्ट/ सोसाइटी/ NGO/NPO को कुछ सर्विसेज पर Reverse Charge में भी जीएसटी देना पड़ेगा जैसे गुड्स ट्रांसपोर्ट एजेंसी (GTA)/ ट्रांसपोर्टर व एडवोकेट की सेवा पर टैक्स सर्विस प्रोवाइडर की बजाय सर्विस रेसिपीएन्ट देगा। जिसके लिए चार्ज की Section 9(3) है।
सरकार ने धारा 9(3) में निम्न लिखित सेवाओं को नोटिफाई कर रखा है:-
(a) Supply of Services by a goods transport agency (GTA)
(b) Services supplied by an individual advocate including a senior advocate.
(c) Services supplied by an arbitral tribunal.
(d) Services provided by the way of sponsorship.
(e) Services provided by the Central Government, State government, a Union territory, or local authority to a business entity.
(f) Services provided by the director of a company or body corporate to the said company or body corporate.
(g) Services provided by the insurance agent.
(h) Services provided by the recovery agent.
(i) Services provided by the author, music composer, photographer, artist.
(j) Services provided by any person by way of transfer of development rights or Floor Space Index (FSI) (including additional FSI) for construction of a project by a promoter [inserted w.e.f. 1-4-2019].
(k) Services provided by way of long term lease of land (30 years or more) by any person against consideration in the form of an upfront amount (called as premium, salami, cost, price, development charges or by any other name) and/or periodic rent for construction of a project by a promoter [inserted w.e.f. 1-4-2019].
(l) Services provided by the members of Overseeing Committee to Reserve Bank of India
(m) Services provided by individual Direct Selling Agent (DSAs) other than a body corporate, partnership or LLP to bank or NBFC
(n) Services provided by the business facilitator (BF) to a banking company.
(o) Services provided by an agent of business correspondent (BC) to business correspondent
(p) Services provided by way of supply of security personnel to a registered person,
जीएसटी चार्जिंग के सेक्शन के बाद अब हम चलते हैं छूट के सेक्शन की और जिसका NGO को बेसब्री से इंतजार रहता है। और NGO मानकर चलता है कि जब भी कोई लॉ बनेगा उसमें छूट पर NGO का अधिकार सबसे पहला होगा।
आइए देखते हैं धारा 11 क्या कहती है, यह धारा सरकार को पावर देती है कि जीएसटी कॉउंसिल की रिकमेन्डेशन पर नोटिफिकेशन के माध्यम से समय-समय पर गुड्स/ सर्विसेज की सप्लाई को जीएसटी से मुक्त कर सकती है। ऐसी छूट के लिए सबसे पहला नोटिफिकेशन गुड्स के लिए 2/2017 है व सर्विसेज के लिए 12/2017 है। उसके बाद में भी छूट के लिए कई नोटिफिकेशन आए, जिनकीं चर्चा आगे की कड़ियों में करेंगे हम।